लोकेश साहू,धमतरी. जिले के सिहावा क्षेत्र के साल्हेभाट और चमेदा के बीच जंगल में दो लोगों का शव बरामद हुआ है. शव के आसपास से भरमार और 12 बोर बंदूक के अलावा भरे हुए कारतूस, खाली कारतूस, नक्सली बैनर पोस्टर और दैनिक उपयोगी सामान बरामद किया गया है. घटना के बाद से इलाके में सनसनी फैल गई है. दोनों मृतकों की पहचान उड़ीसा के कुंदई थाना अंतर्गत ग्राम सेमराडीह में रहने वाले सहदेव गोड़ और बुधेसिंग कमार के रूप में की गई है.

जिले के एडिशनल एसपी केपी चंदेल ने बताया कि शनिवार की शाम सेमरडीह थाना कुंदई के ग्रामीणों ने बोरई थाना में सूचना दी थी कि गांव में रहने वाले 2 लोग का शव जंगल में पड़ा हुआ है. ग्रामीणों की सूचना के आधार पर फॉरेंसिक टीम, बीडीएस स्क्वायड और कार्यपालक दंडाधिकारी सहित पुलिस के जवान घटनास्थल पर रवाना हुए. जहां दोनों शव को बरामद किया गया. आसपास से भरमार बंदूक, 12 बोर बंदूक, नक्सली बैनर पोस्टर, भरे हुए कारतूस, खाली कारतूस और दैनिक उपयोग की चीजें बरामद होने की बात पुलिस के अधिकारी कह रहे हैं. देर शाम तक दोनों शव को नगरी के चीरघर लाया गया जहां वीडियोग्राफी के साथ शव का पोस्टमार्टम किया गया. हालांकि अभी तक इस बात का खुलासा नहीं हुआ है कि दोनों मृतकों के शरीर में गोली पाया गया है या नहीं, पुलिस के अधिकारी जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कह पाने की बात कह रहे है.

बता दें कि 2 दिन पहले ही शुक्रवार को तड़के सीआरपीएफ के जवानों और नक्सलियों के बीच इसी जंगल में मुठभेड़ हुई थी. जिसमें सीआरपीएफ के हेड कांस्टेबल हरीशचंद्र पाल शहीद हो गए थे, तो वही कांस्टेबल सुधीर कुमार पैर में गोली लगने से घायल हो गए थे. मुठभेड़ में शामिल जवानों के मुताबिक कई नक्सलियों को भी गोली लगने की बात कही जा रही थी. ऐसे में 2 दिन बाद उसी जगह से दो लोगों का शव बरामद होना इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि कहीं ना कहीं गोली लगने से दोनों की मौत हुई है.

बुधवार को घर से निकले थे दोनों

इधर नगरी चीरघर पहुंचे मृतकों के परिजनों ने बताया कि सहदेव और बुधेसिंग शहद निकालने के लिए बुधवार की सुबह निकले थे. जो वापस नहीं लौटे थे साल्हेभाट के ठाकुर राम नाम के ग्रामीण द्वारा उन्हें बताया गया कि दोनों का शव जंगल में पड़ा हुआ है, लेकिन दहशत के चलते वे लोग शव के पास नहीं पहुंच पाए. सहदेव गोंड के पिता सुखराम गोड़ का कहना है कि सहदेव गांव में खेती किसानी का काम करता था. साथ ही जंगल में शहद निकालकर आसपास के बाजार में बिक्री करने का भी काम करता था. कई बार 2 से 3 दिन तक घर नहीं लौटता था. इसलिए इस बार भी उन्हें लगा था कि शायद शहद ढूंढने के कारण घर आने में देर हो गई होगी.

नक्सलियों से संलिप्तता को लेकर परिजनों का कहना है कि दोनों गांव में ही रह कर काम करते थे. किसी भी नक्सली से पहचान या कोई बातचीत होने की बातों से परिजनों ने इनकार किया है. बहरहाल यह जांच का विषय है कि इस गंभीर मामले में क्या राज निकल कर सामने आते हैं.

पंद्रह दिन पहले ही हुई है दो जुड़वा बच्ची

परिजनों ने बताया कि बुधेसिंग बांस की टोकरी बनाकर परिवार का पालन पोषण करता था. 15 दिन पहले ही बुधेसिंग और उसकी पत्नी कमलेश को औलाद के रूप में दो बच्ची हुई है. जिनके छठी का कार्यक्रम भी अभी नहीं हो पाया है. इसी तरह सहदेव के पिता ने बताया कि सहदेव किसानी करके अपनी पत्नी राजबाई और 3 साल की लड़की का पालन पोषण कर रहा था. दोनों की मौत के बाद पत्नी और छोटे छोटे बच्चे बेसहारा हो गए हैं.