जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) के करौली (karauli) जिले शनिवार को हिंदू नव वर्ष (Hindu New Year) के मौके पर बाइक रैली के दौरान दो समुदायों के बीच हुए पथराव के बाद अब हालात सामान्य की तरफ लौट रहे हैं.  दोनों तरफ लाख की दुकानों के बीच एक मकान ‘लाक्षागृह’ बन धू-धू जल रहा था. उसमें मासूम बच्चे के साथ फंसी उसकी मां और 2 अन्य महिलाएं जीने की उम्मीद ही खो चुके थीं. लेकिन करौली कोतवाली थाने के कांस्टेबल 31 वर्षीय नेत्रेश शर्मा देवदूत बनकर आए, उन्होंने अपनी जान पर खेलकर चारों की जिंदगी बचाई.

  दरअसल घटना के अगले दिन करौली पुलिस (karauli police) के एक पुलिस कांस्टेबल की फोटो वायरल हो गई जहां वह आगजनी के बीच से एक महिला और उसके बच्चे को सुरक्षित बाहर निकालकर कर लाता हुआ दिखाई दिया. कांस्टेबल ने बच्चे को छाती के लगा रखा है और भागता हुआ आगजनी के बीच से निकल रहा है. करौली पुलिस चौकी पर तैनात कॉन्स्टेबल नेत्रेश शर्मा (constable netresh sharma) की यह फोटो वायरल होने के बाद उसकी बहादुरी की तारीफ हो रही है.

बता दें कि ये जांबाज कांस्टेबल 2013 बैच के हैं और हमेशा सिग्मा ड्यूटी पर तैनातगी रहती है. वह वर्ष 2018 से करौली कोतवाली थाने में तैनात हैं.

जांबाज नेत्रेश शर्मा ने कहा- चंद सेकंड में फैसला किया, क्योंकि फर्ज सबसे ऊपर

मैं सिग्मा गाड़ी पर गश्त पर था. नव संवत्सर पर बाइक रैली दोपहर बाद 3:30 बजे रवाना हुई थी. करीब 5 बजे रैली हटवाड़ा बाजार पहुंची थी. मैं 200 मीटर आगे गणेश गेट पर था. इस दौरान सूचना आई कि एसएचओ साहब की गाड़ी में दो-तीन घायलों को लेकर गए हैं और हटवाड़ा बाजार में पथराव हो गया है. मैं सिग्मा से हटवाड़ा बाजार पहुंचा तो वहां भीषण आगजनी हो रही थी.

एक दुकान के बाहर दो-तीन घायल बैठे हुए थे. उनके सिर फूटे हुए थे. उन्होंने मुझे रोका. मैं उन्हें हटवाड़ा बाजार से सिग्मा पर बैठाकर एक किलोमीटर दूर हॉस्पिटल लेकर गया. वहां से वापस हटवाड़ा बाजार पहुंचा. इसके बाद फूटाकोट चौराहे पर पहुंचा तो भीषण आगजनी हो रही थी. दुकानें धू-धू कर जल रही थीं. इस बीच वहां एक मकान को देखा तो दिल दहल गया.

 मकान के दोनों ओर लाख की दुकानें थीं. मकान के तीन तरफ से आग की लपटें निकल रही थीं. अंदर से 3 महिलाओं और एक बच्चे के चीखने-चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं. लपटों से घिरी और चिल्ला रही एक महिला की गोद में 4 साल का बच्चा था. आग की लपटों से बचाने के लिए महिला ने उसे कपड़े में लपेट रखा था. चीख-पुकार के बीच आग की लपटों को देखकर मैं एकबारगी पशोपेश में पड़ गया. इसी बीच उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर मासूम को बचाना जरूरी समझा और आज यही कारण है कि पूरे देश में इस कांस्टेबल की तारिफ हो रही है.