हेमंत शर्मा, इंदौर। पिछले दिनों कनाड़िया थाना क्षेत्र में मजिस्ट्रेट की गाड़ी टकराने के बाद मजिस्ट्रेट ने थाने पहुंचकर लूट का मामला दर्ज करवाया था। हाईकोर्ट में आरोपी की तरफ से सीसीटीवी पेश किया गया जिसके बाद आरोपी को जमानत का लाभ मिल गया। आरोपी पक्ष के वकील के मुताबिक मजिस्ट्रेट ने झूठी FIR लूट लिखाई थी जिसके बाद सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में पेश किए गए। टीवी फुटेज के आधार पर कोर्ट ने माना की लूट का मामला नहीं है और ना ही आरोपी पर पूर्व के कोई रिकॉर्ड है इसलिए उन्हें जमानत का लाभ दिया जा सकता है।

एक महीने की जेल की हवा खानी पड़ी

दरअसल इंदौर के कनाड़िया थाना क्षेत्र में पिछले दिनों प्रथम न्याकि मजिस्ट्रेट मोहित रघुवंशी ने शैलेंद्र नागर के खिलाफ लूट की एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसके बाद शैलेंद्र को एक महीने की जेल की हवा खानी पड़ी। मामले में शैलेंद्र की तरफ से पहले निचली अदालत में आवेदन प्रस्तुत किया था लेकिन वहां से जमानत खारिज हो गई। इसके बाद इंदौर हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई, जिसमें घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज भी आरोपी के एडवोकेट मनीष यादव द्वारा कोर्ट में पेश किए गए। हाईकोर्ट ने टीवी फुटेज देखने के बाद शैलेंद्र नागर को जमानत दे दी। एडवोकेट मनीष यादव के मुताबिक टीवी फुटेज में कहीं भी लूट की घटना प्रतीत नहीं हुई। कोर्ट ने माना कि यह साधारण मारपीट का मामला है और इसे देखते हुए जमानत दे दी।

चीफ जस्टिस से जांच की मांग

गाड़ी ओवरटेक करने को लेकर विवाद हुआ था। गाड़ी ओवरटेक करने वाले मजिस्ट्रेट है यह शैलेंद्र को नहीं पता था जिसको लेकर लिखित माफी भी मांगने के लिए हमारे द्वारा कहा गया था लेकिन मजिस्ट्रेट साहब ने अपने एक और मजिस्ट्रेट साथी के साथ कनाड़िया थाने पहुंच कर साधारण मारपीट की घटना को लूट की घटना बताते हुए एफआईआर दर्ज कर दी। अब इस पूरे मामले की चीफ जस्टिस से भी जांच करने की हम मांग करेंगे। अभी पुलिस ने इस पूरे मामले में चालान पेश नहीं किया है। चालान पेश करने के बाद एसपी से भी इस पूरे मामले की जांच की मांग करेंगे।

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