रायपुर. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनाए गए हैं. राहुल गांधी ने भूपेश बघेल के नाम पर मुहर लगा दी है. पांच साल तक पार्टी के लिए काम करने वाले नेता को उनके मेहनत का फल मिला है. कांग्रेस ने एक ठेठ छत्तीसगढ़ियां और किसान के बेटे को मुख्यमंत्री बनाया है. राजीव भवन में विधायक दल की बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे और पीएल पुनिया मुख्यमंत्री पद का ऐलान किया है.
बघेल ने कांग्रेस पार्टी को पांच साल तक अपनी मेहनत से सींचा है. झीरमघाटी के बाद मृत प्राय कांग्रेस पार्टी को खड़ा किया. भाजपा के भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क पर लड़ाई लड़ी. हर मुद्दे को उन्होंने बखूबी से सदन से लेकर सड़क तक उठाया. जिसका सामना भाजपा नहीं कर पाई. और पांच साल मुखर रहने के चलते वे सीधे सत्ता के निशाने पर रहे. तमाम दिक्कतों का सामने करते हुए पार्टी को कमजोर होने नहीं दिया. इसी का फल उन्हें मिला है. भूपेश बघेल ने 5 साल तक सरकार के साथ किसी भी मंच को साझा नहीं किया. इस पर उनका मानना था कि यदि वो सरकार के साथ किसी भी मंच को साझा करते, तो विपक्ष इसके कई राजनीतिक मायने निकालती.
आइए एक नजर डाले भूपेश की राजनीतिक करियर पर…
भूपेश बघेल के अब तक के सामाजिक और राजनीतिक सफर पर. भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग जिले के पाटन तहसील में हुआ था. कुर्मी समाज में इनका खासा जनाधार देखने को मिलता है. तेज तर्रार राजनीति और बेबाक अंदाज के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल जाने जाते हैं. किसानों के मुद्दों पर आक्रामक कौशल के लिए वे काफी फेमस भी हैं.
साल 1985 में उन्होंने यूथ कांग्रेस ज्वॉइन किया. 1993 में जब मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव हुए तो पहली बार पाटन विधानसभा से वे विधायक चुने गए. इसके बाद अगला चुनाव भी वे पाटन से ही जीते, जिसमें उन्होने बीजेपी के निरुपमा चंद्राकर को हराया था.
जब मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार बनी, तो भूपेश बघेल कैबिनेट मंत्री बने. साल 1990-94 तक जिला युवा कांग्रेस कमेटी दुर्ग (ग्रामीण) के वे अध्यक्ष रहे. 1994-95 में मध्य प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष चुने गए. साल 1999 में मध्य प्रदेश सरकार में परिवहन मंत्री और साल 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के डायरेक्टर की जिम्मेदारी भूपेश बघेल ने संभाली.
साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य बना और कांग्रेस की सरकार बनी तब जोगी सरकार में वे कैबिनेट मंत्री रहे. 2003 में कांग्रेस जब सत्ता से बाहर हुई तो भूपेश को विपक्ष का उपनेता बनाया गया. साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में पाटन से उन्होने जीत दर्ज की. 2008 में बीजेपी के विजय बघेल से भूपेश चुनाव हार गए. फिर साल 2013 में पाटन से उन्होने जीत दर्ज की. 2014 में उन्हें छत्तीसगढ़ कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया.
तेज़तर्रार और आक्रामक छवि वाले नेता भूपेश बघेल को दिसंबर, 2013 में कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष बनाया. इस समय विधानसभा चुनाव में लगातार तीसरी हार के बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता हताश और निराश थे. इसके बाद भूपेश बघेल ने सरकार के खिलाफ लगातार मोर्चा खोलकर कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने का काम किया. फिर राशन कार्ड में कटौती का मुद्दा हो या किसानों की धान खरीदी और बोनस का मुद्दा, वह नसबंदी कांड का विरोध हो या फिर चिटफंड कंपनियों के पीड़ितों के साथ खड़े होने का मामला, भूपेश ने कांग्रेस को सरकार के खिलाफ सड़क पर उतार दिया.कथित भ्रष्टाचार के मामले एक के बाद एक उजागर किए, जिस तरह से उन्होंने शक्तिशाली नौकरशाहों को खुले आम चुनौती दी उससे राज्य में कांग्रेस की छवि बदली.