रायपुर। मुख्य सचिव आर पी मण्डल ने विगत दिवस मंत्रालय महानदी भवन में राज्य के आकांक्षी जिलों में शामिल बस्तर संभाग आयुक्त और सात जिलों के कलेक्टर, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, महिला एवं बाल विकास अधिकारी और मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में आकांक्षी जिलों के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण सूचकांको में अपेक्षित सुधार लाने आवश्यक मार्गदर्शन दिए गए और सभी विभागों को लक्ष्य निर्धारित करके अभियान के रूप में कार्ययोजना के क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए गए.
मण्डल ने कलेक्टरों से कहा है कि आकांक्षी जिलों के विकास संबंधी मापदण्डों के प्रगति की जानकारी स्वयं प्रधानमंत्री द्वारा वीडियों कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ली जाती है. बस्तर संभाग के सभी जिलों में विशेष कार्ययोजना बनाकर मिशन मोड में काम करने के निर्देश प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए है. मण्डल ने कुपोषण मुक्ति, स्वास्थ्य, शिक्षा, आजीविका, ग्रामीण विकास सहित अन्य जरूरी विषयों पर विशेष और प्रभावकारी रणनीति बनाकर उसका क्रियान्वयन करने की जिम्मेदारी संबंधित विभाग के सचिव और कलेक्टरों को दिए है। स्थानीय शासकीय कार्यक्रमों में इस्तेमाल होने वाले चावल की आपूर्ति राज्य शासन द्वारा की जाएगी। इसके लिए कलेक्टरों द्वारा आंकलन के आधार पर मांग पत्र भेजे जाने के निर्देश दिए गए.
बैठक में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के. पाटिल ने बताया कि कृषि उत्पादों का सही उत्पादन और इस्तेमाल करके कुपोषण को दूर किया जा सकता है, स्वास्थ्य में सुधार लाया जा सकता है और ग्रामीणों की आय में बढ़ोत्तरी की जा सकती है। उन्होंने शकरकंद की विशेष प्रजाति के विषय में जानकारी दी कि इसके उत्पादन से ग्रामीणों की आय में बढ़ोत्तरी होगी और आंगनबाड़ी केन्द्रों और स्कूलों में इसका उपयोग करने पर बच्चों को कुपोषित होने से रोका जा सकता है। इसके साथ ही कोदो, कुटकी, मुनगा की पत्तियों का इस्तेमाल भी पोषण स्तर में सुधार लाने में सहायक है। पोषण वाटिका के रूप में पोषक तत्वों से भरपुर स्थानीय कंदमूल भाजी आदि का उत्पादन किया जा सकता है। स्थानीय समूहों द्वारा इसका प्रसंस्करण करके स्थानीय आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों और पंचायतों में गरम भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि बस्तर संभाग के सभी जिलों में कृषि विकास केन्द्र से संबंधित अधिकारी-कर्मचारी इस कार्य के लिए सहयोग करेंगे। प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री राकेश चतुर्वेदी ने जानकारी दी कि लघु वनोपज के माध्यम से रोजगार निर्माण के दिशा में काम किया जाएगा। स्वासहायता समूहों के माध्यम से बांस के ट्री-गार्ड, बैग, लघु वनोपज का संग्रहण और प्रसंस्करण किया जाएगा। इसके साथ ही शहद के उत्पादन व प्रसंस्करण का काम भी स्थानीय समूहों के द्वारा किया जाएगा। स्थानीय वनोपजों का इस्तेमाल कुपोषण मुक्ति के लिए किया जाएगा।
सचिव महिला एवं बाल विकास सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने बस्तर संभाग में संचालित कर रहे सुपोषण अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिए महिला बाल विकास और स्वास्थ्य विभाग द्वारा संयुक्त रूप से कुपोषण और एनिमिया के सर्वे के संबंध में बताया। स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्रीमती निहारिका बारिक ने बताया कि दो दिसम्बर से मिशन इंद्रधनुष की शुरूवात होगी। जिसमें सामान्य टीकाकरण के साथ ही रोटा और रूबेला वायरस से बच्चों को बचाने टीकाकरण किया जाएगा। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने प्रत्येक गर्भवती महिला का पंजीयन और सुरक्षित प्रसव के लिए हर संभव प्रयास किए जाएंगे. विशेष सचिव नगरीय प्रशासन मंगई डी. ने बताया कि 25 नवम्बर तक राजीव आश्रय पट्टों का वितरण किया जाना है। शहरी क्षेत्रों में वार्ड कार्यालय नियमित रूप से लगने चाहिए और सड़कों की मरम्मत व सफाई नियमित रूप से होनी चाहिए। संचालक स्कूल शिक्षा एस.प्रकाश ने भी स्कूली शिक्षा के स्तर में सुधार लाने जरूरी तथ्यों के विषय में जानकारी दी.