रामेश्वर मरकाम, धमतरी। मंजिले उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है…पंखो से कुछ नहीं होता, हौसलो से उड़ान होती है… एक छोटे से मासूम बच्चे के फरियाद ने प्रशासन और उसके दर्द को समझने पर मजबूर कर दिया ।

प्रशासन ने मासूम के फरियाद पर शौचालय बनाकर अब उनके दिल मे जगह बना लिया है । दरअसल 2 महीने पहले मासूम धरमपाल ने अपने हाथों से जिला कलेक्टर को पत्र लिखा था कि उनके घर में शौचालय नही है और खुले में शौच जाने से लोग उन पर हंसते थे जिसके वजह से उन्हें शर्म आती थी।

धरमपाल हकलाती जुबान से हमेशा अपने पिता से सवाल करता था कि पापा मेले घर में शौचालय क्यों नही है ?? मैं कब तक खुले मैदान में शौच जाऊँगा ?? खुले में शौच जाता हूँ तो सब लोग मुझ पर हसंते है मुझे अब शर्म आने लगी है ।

मासूम सा बच्चा धरमपाल कक्षा पहली का छात्र है और मौजुदा दौर में इस बच्चे के परिवार को सरकार के महत्वपूर्ण स्वच्छ भारत मिशन योजना का लाभ नही मिल पाया था । नतीजन पूरा परिवार खुले में शौच जाने के लिए मजबूर था। हालांकि ये अलग बात थी कि सरकारी सिस्टम खुले में शौच मुक्त जिला होने का तमगा हासिल कर चुका था।

जिले के कसावाही गांव में रहने वाले इस बच्चे ने जिला प्रशासन को आवदेन लिखकर घर मे शौचालय बनवाने की गुजारिश किया था। मासूम धरमलाल की उम्र महज 6 साल है फिर भी जिला प्रशासन को अपने हाथो से एक आवेदन लिखकर अपने घर में शौचालय बनाने की मांग की थी।

मासूम का कहना था कि जब वह खुले में शौच जाते थे तो आसपास के लोग उसे चिढ़ाते और मजाक उड़ाते थे। जिसके कारण उन्हें पीड़ा होती थी और जब मजाक बनाए जाने तंग आ गया तो वह अपने माता पिता से शौचालय बनाने की जिद कर बैठा लेकिन अपने हालात और बेबसी के चलते माता पिता शौचालय बनाने में सक्षम नही थी।

वहीं गरीबी के बीच गुजर बसर कर रहे माता के बस में बच्चे की जिद पूरी करना नामुमकिन था। परिवार की तकलीफ को देखकर गांव में ही रहने वाले एक अन्य लड़के ने धरमपाल को आवेदन लिखने की सलाह दिया और लड़के के कहने पर मासूम धरमपाल ने जिला प्रशासन के नाम आवेदन लिखा और आवेदन लेकर कलेक्टर के पास पहुँचा था।

जहाँ मौजूद सरकारी महकमे ने बच्चे को उनके घर शौचालय बनाने का भरोसा दिलाया था और इसे गम्भीरता से लेते हुए शौचालय बनवाने की प्रक्रिया शुरू कर दी। मौजूदा वक्त में मासूम को उनका शौचालय मिल गया और उसे व उसके परिवार को खुले में शौच जाने की शर्मिन्दगी से निजात मिल गई।