राकेश चतुर्वेदी, भोपाल। मध्यप्रदेश के देवास जिले के खिवनी वन्य प्राणी अभ्यारण्य से खुशखबरी आई है। अभ्यारण्य में बाघिन मीरा और बाघ युवराज ने कुनबा बढ़ाया है। दोनों अपने तीन शावकों के साथ अभ्यारण्य के ट्रेप कैमरों में कैद हुए हैं। पिछले पांच-छह महीनों से बाघिन मीरा तीनों शावकों को पल भर के लिए अपनी आंखों से दूर नहीं होने दे रही है। अब तीनों शावक बाघ के शिकार को खाने भी लगे हैं। अभ्यारण्य प्रबंधन ने सोमवार देर शाम यह जानकारी साझा की।
खिवनी अभ्यारण्य में बाघ युवराज एवं बाघिन मीरा से हुए 3 शावक खिवनी अभ्यारण्य की शान बढ़ा रहे हैं। इसके पहले से भी खिवनी में तीन बाघ नियमित रहते हैं और 3 अन्य बाघ भी अभयारण्य में आते-जाते रहते हैं। हाल में ही अभ्यारण्य प्रबंधन को उस समय खुश खबरी मिली जब पानी के एक स्त्रोत के पास बाघिन दिन में शावकों के साथ दिखाई दी। इसके बाद रात के समय बाघ और बाघिन तीनों शावकों के साथ जल स्त्रोत पर ट्रेप कैमरे में दिखाई दिए। अभयारण्य अधीक्षक विकास माहोरे ने बताया कि अभयारण्य में 6 बाघों की उपस्थिति पूर्व से है और अब नए मेहमानों के आने के बाद प्रबंधन इनकी विशेष रूप से निगरानी कर रहा है। तीनों शावक स्वस्थ और बाघिन के साथ ही अभ्यारण्य में विचरण कर रहे हैं। प्रबंधन को अभी तक तीनों शावकों के लिंग का पता नहीं चला है।
134 किमी में फैला है अभ्यारण्य
जिले के अंतिम छोर पर स्थित 134.77 वर्ग किलोमीटर में फैले अभ्यारण्य में भारत के राष्ट्रीय पशु एवं टाइगर स्टेट के द्योतक बाघ का प्राकृतिक आवास है। यहां तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा, लोमड़ी, चीतल, नीलगाय, चौसिंगा, जंगली सुअर जैसे कई वन्यप्राणी प्राकृतिक आवास में रह रहे हैं। मालवा के पठार एवं विंध्याचल पर्वत मालाओं के मध्य बसा यह अभ्यारण्य देवास एवं सीहोर जिले में फैला हुआ है। नर्मदा की सहायक नदियां जामनेर व बालगंगा नदी का उद्गम स्थल भी अभ्यारण्य में है। अभ्यारण्य की स्थापना वर्ष 1955 में मध्य प्रदेश के गठन के पूर्व तत्कालीन होलकर शासकों द्वारा वन्य वाणी संरक्षण के उद्देश्य से की गई थी।
मध्य प्रदेश का प्रथम अधिसूचित अभ्यारण्य
अभ्यारण्य अधीक्षक विकास माहोरे ने बताया कि वर्ष 1955 में जारी प्रथम अधिसूचना के अनुसार यह मध्य प्रदेश का प्रथम अधिसूचित अभ्यारण्य है। ग्रीष्म ऋतु चल रही है, ऐसे में वन्यप्राणी भी गर्मी से राहत ढूंढ रहे हैं। रविवार को खिवनी अभ्यारण में बाघ गर्मी में रास्ते पर नजर आया तथा निर्भीक होकर बैठा रहा। अधीक्षक विकास माहोरे और उनके अमले को गश्ती के दौरान जंगल में यह नजारा दिखाई दिया। वन क्षेत्र बड़ा होने एवं पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण आने वाले पर्यटकों को कभी-कभी ही जंगल में बाघ प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं। हालांकि जंगल में गश्त करते हुए वन कर्मचारियों को बाघ कई बार दिखाई देता है।
Lalluram.Com के व्हाट्सएप चैनल को Follow करना न भूलें.
Read More:- https://whatsapp.com/channel/0029Va9ikmL6RGJ8hkYEFC2H
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक