रायपुर। मोदी सरकार ने नोटबंदी के बाद जिन कालेधन वाली शैल कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की थी उसमें छत्तीसगढ़ की भी कई कंपनी शामिल थी. खास बात ये इन कंपनियों में राज्य सरकार की कंपनी भी है. इस कंपनी का नाम है निःशक्त जन वित्त एवं विकास निगम है. नोटबंदी के बाद के एक साल बाद इस कंपनी का खुलासा हुआ है. दरअसल केन्द्र सरकार ने सरकार ने कालेधन के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए नोटबंदी के बाद 2 लाख कंपनियों को शैल कंपनियों की श्रेणी में रखते हुए उनका कारोबार बंद करा दिया था. और उन कंपनियों के डायरेक्टरों को डिफाल्टर घोषित कर दिया था. साथ उन डायरेक्टरों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने का फैसला लिया था.
मोदी सरकार की इस कार्रवाई का शिकार छत्तीसगढ़ की निःशक्त जन वित्त एवं विकास निगम भी हुआ. कार्रवाई इसलिए हुई है क्योंकि वित्त विकास निगम ने 3 साल तक कोई ऑडिट नहीं कराया था. इस कंपनी को केन्द्र सरकार को ओर से बड़ा फंड मिलता जिससे ये कंपनी चल रही है. कंपनी में 5 आईएएस को डायरेक्टर बनाया गया है. फिलहाल इस मामले में विभागीय अधिकारियों की प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है. लेकिन विभागीय अधिकारियों को जब ये पता चला कि उन्होंने आनन-फानन में 3 साल का ऑडिट कराया. वहीं मोदी सरकार ने यू-टर्न लेते हुए 30 हजार रुपये जुर्माना भरकर वापस कंपनी शुरू करने की अनुमति दे दी. शैल कंपनियों की सूची मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट ऑफेयर्स की वेबसाइट्स पर उपबल्ध है. जिसमें छत्तीसगढ़ निःशक्त जन वित्त एवं विकास निगम की कंपनी और उनके डिफॉल्टर डायरेक्टरों के नाम दर्ज है.
विधानसभा में उठा मामला, सरकार करे कार्रवाई- सत्यनाराय शर्मा
इस मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार को इस मामले में संबंधित अधिकारियों से पूछताछ करनी चाहिए कि आखिर इतनी बड़ी गड़बड़ी हुई कैसे. क्या कंपनी की ओर से 3 साल तक भ्रष्टाचार होता रहा. छत्तीसगढ़ सरकार के नाम को खराब करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की गई. उन्होंने इस मामले को विधानसभा में उठाया, लेकिन सरकार की ओर से ठीक से जवाब नहीं दिया गया.