दुर्ग। सड़क दुर्घटना में मृत बीमाधारक का मृत्यु दावा भुगतान करने से बीमा कंपनी ने इंकार कर दिया, इसे सेवा में निम्नता पाते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर 2 लाख 21 हजार रुपये हर्जाना लगाया।

ग्राहक की शिकायत

बालोद निवासी सुनीता पटवा के पति स्वर्गीय विजय कुमार पटवा की मृत्यु सड़क दुर्घटना में दिनांक 21 जनवरी 2018 को हो गई। इंडियन ओवरसीज बैंक ने मृतक के बचत खाता से प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 12 रुपए बीमा प्रीमियम काटा था, जिसके अंतर्गत बीमा अवधि में बीमाधारक की दुर्घटना से मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये की बीमा राशि भुगतान की जाती है। पति की मृत्यु पश्चात जब पत्नी ने बीमा कंपनी के समक्ष बीमा दावा पेश किया तो बीमा कंपनी ने नियमों व शर्तों का हवाला देते हुए बीमा दावा भुगतान करने से इंकार कर दिया जबकि बीमा कंपनी को पुलिस प्रतिवेदन, एफआईआर और पोस्टमार्टम रिपोर्ट सहित संपूर्ण दस्तावेज प्रदान कर दिए गए थे।

बीमा कंपनी और बैंक का जवाब

बीमा कंपनी ने फोरम के समक्ष उपस्थित होकर कहा कि बीमा पॉलिसी के नियम और शर्तों के अंतर्गत मृत्यु होने पर ही बीमा दावा राशि देय होती है और मृतक बीमाधारक ने स्वयं लापरवाही की है। बीमाधारक माल वाहन में सवार होकर यात्रा कर रहा था, उसने गैर-यात्री वाहन में यात्री के रूप में यात्रा करके कानून भंग किया गया और कानून भंग किए जाने के परिणामस्वरूप हुई मृत्यु को दावा भुगतान से बाहर रखा गया है। इस कारण बीमा दावा निरस्त किया है।

बैंक ने यह कहा कि बैंक के माध्यम से बीमा किया जाता है परंतु देयता बीमा कंपनी की होती है, दावा निरस्त होने में बैंक की कोई भूमिका नहीं है।

फोरम का फैसला

प्रकरण में प्रस्तुत दस्तावेजों एवं प्रमाणों के आधार पर जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने उपभोक्ता के प्रति बीमा कंपनी द्वारा सेवा में निम्नता का कृत्य किया जाना प्रमाणित पाया। फोरम ने विचारण के दौरान यह पाया कि बीमाधारक अपने आजीविका से जुड़े सामान की सुरक्षा करने के उद्देश्य से सामान के साथ यात्रा कर रहा था और अपने सामान की सुरक्षा और निगरानी करने हेतु सामान के साथ यात्रा करना कानून भंग की श्रेणी में नहीं आ सकता है और यदि बीमाधारक किसी प्रकार से कानून भंग में संलिप्त था तो उसके विरुद्ध कानून भंग की कार्यवाही पुलिस द्वारा अवश्य की गई होती और उसके विरुद्ध मामला दर्ज किया गया होता। दुर्घटना घटित होने में बीमाधारक की प्रत्यक्ष और योगदायी भूमिका होना प्रमाणित नहीं होती है। फोरम ने कहा कि बीमा कंपनी ने गलत आधारों पर बीमा दावा निरस्त करके सेवा में निम्नता की है जबकि बैंक के विरुद्ध सेवा में निम्नता साबित नहीं होने के कारण उसे उन्मुक्त कर उसके विरुद्ध प्रकरण खारिज किया गया।

जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये व लता चंद्राकर ने संयुक्त रूप से फैसला सुनाते हुए यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड पर 2 लाख 21 हजार रुपये हर्जाना लगाया, जिसके तहत बीमा दावा राशि 200000 रुपये, मानसिक पीड़ा की क्षतिपूर्ति स्वरूप 20000 रुपये तथा वाद व्यय के रुप में 1000 रुपये देना होगा एवं दावा राशि पर 6 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज भी देना होगा।