बलौदाबाजार.  अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कुछ दिनों पहले जिले में कुछ परिवारों के सामाजिक बहिष्कार होने की लिखित जानकारी प्राप्त हुई थी. बहिष्कार होने से उक्त परिवारों के सदस्य परेशान हो गए थे, तब से उक्त परिवार का बहिष्कार समाप्त करवाने का प्रयास किया जा रहा था, जिसके बाद अब ग्रामीणों ने उक्त परिवारों का बहिष्कार समाप्त कर दिया है. इस बात की लिखित जानकारी भी दे दी है. समिति की ओर से इस मामले की जानकारी प्रशासन को दी गई थी.

डॉ. दिनेश मिश्र ने बताया, सामाजिक बहिष्कार कर हुक्का पानी बंद करने के इस मामले में ग्राम भरसेला पोस्ट छेरकापुर थाना बलौदाबाजार के छबि साहू और उसके परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया था. उक्त परिवार को 2017 में अपने ही रिश्तेदार की मृत्यु होने पर मुंडन न कराने पर पहले समाज से बहिष्कृत कर दिया गया और उनका हुक्का पानी बंद कर अनेक पाबंदियां लगा दी गई, जिससे उनसे कोई बात भी नहीं करता है. उन्हें रोजी मजदूरी से भी वंचित कर दिया गया.

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वहीं बहिष्कृत परिवार के सदस्यों ने बताया कि, बहिष्कार वापसी के लिए उनसे एक बार सामूहिक भोज, फिर दोबारा 30 हजार रुपए जुर्माना भी लिया गया, अक्टूबर में उन्हें फिर प्रताड़ित किया गया और हुक्का पानी बंद कर उनके यहां खेती करने आने वाले मजदूरों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया.

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उक्त परिवार कमजोर आर्थिक परिस्थिति के हैं और बार बार इस प्रकार की प्रताड़ना होने से गांव में अपमानित और असुरक्षित महसूस कर रहा था और एक दिन इस मामले की जानकारी लिखित में देते हुए मदद मांगी. इस मामले की लिखित शिकायत प्रशासन, शासन से की गई तथा ग्रामीणों से सम्पर्क व समझाइश की जाती रही. ग्राम में बैठक आयोजित हुई और अंतिम समझाइश के बाद उक्त परिवारों का बहिष्कार वापस लिया गया.

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डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा, देश का संविधान हर व्यक्ति को समानता का अधिकार देता है. सामाजिक बहिष्कार करना, हुक्का पानी बंद करना एक सामाजिक अपराध है और यह किसी भी व्यक्ति के संवैधानिक और मानवाधिकारों का हनन है. प्रशासन को ऐसे मामलों पर कार्रवाई कर पीड़ितों को न्याय दिलाने की आवश्यकता है. साथ ही सरकार को सामाजिक बहिष्कार के संबंध में एक सक्षम कानून बनाना चाहिए, ताकि किसी भी निर्दोष को ऐसी प्रताड़ना से न गुजरना पड़े.

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किसी भी व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक रूप से प्रताड़ना देना, उस का समाज से बहिष्कार करना अनैतिक और गम्भीर अपराध है.
शासन से अपेक्षा है, सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ सक्षम कानून बनाने की पहल करें, ताकि प्रदेश के हजारों बहिष्कृत परिवारों को न केवल न्याय मिल सके, बल्कि वे समाज में सम्मानजनक ढंग से रह सकें.