Bihar News: बिहार की धरती अब हरित ऊर्जा क्रांति की नई पहचान बनने जा रही है। लखीसराय जिले के कजरा में देश का सबसे बड़ा बैटरी स्टोरेज वाला सोलर बिजलीघर समय से पहले बनकर तैयार हो गया है। इस परियोजना को 2026 तक पूरा करना था, लेकिन रिकॉर्ड समय में काम खत्म कर दिया गया और अब सितंबर महीने में ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसका उद्घाटन करने वाले हैं।
यह न सिर्फ बिहार का पहला, बल्कि देश का सबसे बड़ा ऐसा सोलर प्रोजेक्ट है, जिसमें सौर ऊर्जा के साथ बैटरी स्टोरेज सिस्टम भी लगाया गया है। परियोजना को करीब 1232 एकड़ जमीन पर दो चरणों में विकसित किया गया है।
दो फेज में तैयार हुआ प्लांट
पहला चरण : 689 एकड़ में फैले इस हिस्से से 185 मेगावॉट (AC) सौर ऊर्जा उत्पादन होगा। इसके साथ 254 मेगावॉट आवर (MWh) की बैटरी स्टोरेज क्षमता है। यानी रात के पीक समय पर यह 45.4 मेगावॉट बिजली लगातार 4 घंटे तक दे सकेगा। इसकी लागत करीब 1570 करोड़ रुपये आई है।
दूसरा चरण : 400 एकड़ पर विकसित इस हिस्से में 116 मेगावॉट सोलर पावर और 241 MWh बैटरी स्टोरेज लगेगी। इससे 50.5 मेगावॉट बिजली 4 घंटे तक मिलेगी। इसकी लागत लगभग 880 करोड़ रुपये है।
दोनों चरण मिलाकर कजरा प्लांट से 301 मेगावॉट सौर ऊर्जा और 495 MWh बैटरी स्टोरेज उपलब्ध होगा, जिससे बिहार को रात के वक्त भी स्थिर और भरोसेमंद बिजली मिलेगी।
बिहार में कम होंगी बिजली की कीमतें
ऊर्जा विभाग और कंपनी अधिकारियों के मुताबिक, इस परियोजना से बिहार को बाहर से बिजली खरीदने पर निर्भरता कम करनी होगी। L&T कंपनी ने पहले चरण का निर्माण पूरा किया है और पूरे प्रोजेक्ट का संचालन और रखरखाव अगले 10 साल तक वही करेगी।
सरकार का दावा है कि इस प्लांट से राज्य में बिजली की कीमतें कम होंगी और खासकर ग्रामीण इलाकों में सप्लाई बेहतर होगी। इसके साथ ही कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलेगी।
रोजगार और स्थानीय विकास को बढ़ावा
कजरा का यह सोलर प्लांट न केवल बिजली संकट को कम करेगा, बल्कि यहां स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए मौके भी पैदा करेगा। इसके साथ ही लखीसराय का यह इलाका हरित ऊर्जा परियोजना की वजह से पर्यटन और स्थानीय विकास के नक्शे पर भी चमक उठेगा।
हरित ऊर्जा अभियान को रफ्तार
नीतीश कुमार की जल-जीवन-हरियाली योजना के तहत शुरू हुई यह परियोजना राज्य को ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाएगी। बैटरी स्टोरेज तकनीक की मदद से अब सूरज ढलने के बाद भी सौर ऊर्जा का इस्तेमाल संभव होगा। यह प्रोजेक्ट न केवल बिहार बल्कि पूरे देश के लिए हरित ऊर्जा की राह में मील का पत्थर साबित होगा।
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