प्रतीक चौहान. रायपुर. 16 साल की मासूम को 2-3 महीनों पहले बुखार आया. इसके बाद उसने बुखार की दवाई तो खाई लेकिन राहत नहीं मिला. बुखार कभी 105 तो कभी 106 तक पहुंच जाता. कुछ दिनों बाद मासूम की हालत और बिगड़ती गई और स्थिति यहां तक पहुंच गई कि मासूम अपना चेहरा भी आईने में देखने से डरने लगी. (Homeopathy Doctor)
करीब 3 महीने तक भटकने के बाद मासूम अपने मामा के घर रायपुर पहुंची यहां भी उन्होंने डॉक्टरों से संपर्क किया, तो उसे भर्ती करने की सलाह दी गई. लेकिन प्राईवेट अस्पताल में इलाज कराने में असक्ष्म परिवार इधर-उधर भटकता रहा. इसके बाद किसी ने उन्हें होम्योपैथिक ट्रीटमेंट कराने की सलाह दी. हालांकि अच्छी बात ये कि होम्योपैथिक ट्रीटमेंट कराने के बाद मरीज अब काफी हद तक स्वस्थ्य हो चुकी है. (Homeopathy Doctor)
मासूम का इलाज करने वाले डॉ उत्कर्ष (Dr Utkarsh Trivedi) त्रिवेदी कहते है कि मासूम जब अस्पताल पहुंची तो उसे 105 बुखार था. उनके एनालिसिस के मुताबिक शरीर की गर्मी (बुखार के कारण) और Pemphigus Vulgaris जैसे लक्षण मरीज में उन्हें मिले. जिसका पूरा होम्योपैथिक दवाईयों से मरीज का ट्रीटमेंट किया गया.
डॉ उत्कर्ष त्रिवेदी कहते है कि ये लोगों में भ्रांतियां है कि होम्योपैथिक की दवाईयां काफी धीरे-धीरे काम करती है.
Tree Wood Syndrome का भी इलाज है होम्योपैथी में
डॉ त्रिवेदी ने लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में बताया कि प्रदेश के बस्तर इलाके में Tree Wood Syndrome नाम की एक बीमारी है, जिसमें मरीज के पैर लकड़ी के छाल जैसे हार्ड और पेड़ के जैसे ही फटने लगते है. उन्होंने बताया कि 60 वर्षीय मरीज का उन्होंने इलाज किया है, जिसके बाद मरीज पहले से काफी बेहतर है. उन्होंने कहा कि जटिल से जटिल बीमारियों का इलाज होम्योपैथी में मौजूद है.