दिल्ली में कृत्रिम बारिश से वायु प्रदूषण से राहत पाने के लिए कराई गई क्लाउड सीडिंग को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM), केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के सर्दियों में दिल्ली में क्लाउड सीडिंग न करने की सलाह देने के बाद भी दिल्ली सरकार ने इस पर 34 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। यह सलाह दिसंबर 2024 में राज्यसभा में दी गई थी।
एजेंसियों ने क्या निकाला था निष्कर्ष?
एजेंसियों ने सर्वसम्मति से निष्कर्ष निकाला था कि सफल क्लाउड सीडिंग के लिए आवश्यक मौसमी परिस्थितियां राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नवंबर से फरवरी तक आमतौर पर अनुपस्थित रहती हैं। विशेषज्ञों की सलाह के बावजूद, दिल्ली सरकार ने IIT कानपुर के साथ मिलकर 34 करोड़ रुपये की क्लाउड सीडिंग परियोजना शुरू कर दी। इसके तहत 28 अक्टूबर को दो उड़ानें शामिल थीं, जिनमें से प्रत्येक की लागत 60 लाख रुपये थी। हालांकि, कुछ मिलीमीटर ही बूंदाबांदी दर्ज की गई।
IIT कानपुर ने स्वीकार की यह बात
IIT कानपुर ने स्वीकार किया कि क्लाउड सीडिंग के परीक्षणों के दौरान वायुमंडल में नमी बहुत कम यानी बमुश्किल 10 से 15 प्रतिशत ही थी। इसके कारण ही पर्याप्त वर्षा संभव नहीं हो सकी। पिछले साल IMD और CAQM ने इन्हीं परिस्थितियों को क्लाउड सीडिंग के लिए अनुपयुक्त बताया था। इसके बावजूद, दिल्ली सरकार ने इस परियोजना को आगे बढ़ाया, जिससे सवाल उठे कि इसे किसने मंजूरी दी और क्या विशेषज्ञों की सलाह की अनदेखी की गई।
दिल्ली सरकार ने किया क्लाउड सीडिंग पहल का बचाव
दिल्ली सरकार ने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि क्लाउड सीडिंग पहल अभी प्रायोगिक चरण में है। पर्यावरण मंत्री के कार्यालय ने स्पष्ट किया कि क्लाउड सीडिंग के विभिन्न प्रकार मौजूद हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि किस विशिष्ट श्रेणी के लिए विशेषज्ञ की राय मांगी गई थी। IIT कानपुर वर्तमान में इस परियोजना का विस्तृत तकनीकी मूल्यांकन कर रहा है। बता दें, पहले भी दिल्ली ने क्लाउड सीडिंग का प्रयास किया था, लेकिन सफलता नहीं मिली।
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