न्यायमूर्ति क्षेत्रपाल और न्यायमूर्ति शंकर की बेंच ने 2400 करोड़ रुपये के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सट्टेबाजी के एक मामले में कई लोगों की याचिकाओं को बुधवार के दिन खारिज कर दिया। याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि, ये लोग एक बड़े अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सट्टेबाजी रैकेट से जुड़े थे, जिसका खुलासा 2015 में हुआ था। इन लोगों ने 10 साल पहले प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जब्त की गई संपत्ति की कुर्की के आदेशों को दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि, ये नेटवर्क अपराध पर खड़ा था। इसलिए इससे कमाया हर मुनाफा अपराध है।

6 याचिकाएं खारिज

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ने सितंबर 2015 में इन आरोपियों की 20 करोड़ की चल-अचल संपत्ति जब्त की थी। इसके बाद इसके बाद अक्टूबर 2015 में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर हवाला लेनदेन और यूके-आधारित वेबसाइट के जरिए की जा रही अवैध अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सट्टेबाजी के संबंध में शुरू की गई थी।

ईडी का आरोप है कि यह सट्टेबाजी का रैकेट वडोदरा के एक फार्महाउस से चलाया जा रहा था। जबकि ईडी द्वार यह कुर्की एक आरोपी के घर पर हुई छापेमारी के बाद की गई थी। यह आरोपी सट्टेबाजी नेटवर्क में एक बिचौलिए के तौर पर काम कर रहा था। उसने कथित तौर पर 2.4 करोड़ रुपये प्रति आईडी की दर से मास्टर और क्लाइंट लॉगिन आईडी खरीदे थे। इसके लिए उसने अनधिकृत तरीकों से विदेश में भुगतान किया था।

सट्‌टेबाजी से जुड़े मुकेश कुमार, उमेश चौटालिया, नरेश बंसल, घनश्याम भाई पटेल और अन्य ने याचिका लगाई थी। कहा था- ईडी के जारी अस्थायी अटैचमेंट और नोटिस रद्द किए जाएं। क्रिकेट सट्‌टेबाजी PMLA में अपराध नहीं है। उनकी संपत्ति गैर-कानूनी आय नहीं मान सकते।

हाईकोर्ट ने फैसले में कहा-

दलीलें खारिज की जाती हैं। रैकेट की बुनियाद अपराध पर टिकी थी। डिजिटल फर्जीवाड़े, फर्जी केवाईसी, हवाला चेन और बिना दस्तावेज वाले सुपर मास्टर लॉगिन आईडी मुख्य अपराध की बुनियाद हैं। यह सब जहरीले पेड़ की तरह है, जब पेड़ जहरीला हो तो फल कैसे वैध हो सकता है। हालांकि, कोर्ट ने सट्‌टेबाजी को जहरीला पेड़ नहीं कहा।

PMLA अथॉरिटी में एक सदस्य का आदेश भी मान्य

कोर्ट ने कहा कि ईडी की कार्रवाई ठोस सबूतों पर थी। पूरा रैकेट धोखाधड़ी और अवैध नेटवर्क पर आधारित था। इसीलिए संपत्ति अटैच करना और नोटिस जारी करना सही माना गया। कोर्ट ने साफ कहा कि PMLA की एडजुडिकेटिंग अथॉरिटी एक सदस्य के साथ भी वैध है।

ईडी की अटैचमेंट की जांच करने वाली इस अथॉरिटी को सुनवाई या आदेश के लिए तीन सदस्यों के पूर्ण पैनल की जरूरत नहीं। एक सदस्य है तो वह भी नोटिस, सुनवाई और आदेश पारित कर सकता है।

नोटिस भेजने के लिए पहले संपत्ति जब्त होना जरूरी नहीं। नोटिस देना सुनवाई शुरू करने का पहला कदम है। संपत्ति की अटैचमेंट अलग कदम है। नोटिस तब भी जारी हो सकता है, जब अटैचमेंट न हुई हो। अटैचमेंट तब भी हो सकती है जब नोटिस बाद में आए।

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