दीपक ताम्रकार डिंडोरी। आदिवासी जिला डिंडोरी जहां निवास करने वाले आदिवासी बैगा जनजाति के लोगों के लिए सरकारें तमाम तरह की योजनाएं संचालित कर रही हैं ताकि उनका जीवन बेहतर और रहन सहन में सुधार हो सके। लेकिन फाइलों की हकीकत से कोसो दूर जिले के बैगा आदिवासियों की स्थिति धरातल में कुछ और ही बयां कर रही है।
सरकार के विकास की जमीनी हकीकत डिंडोरी जिला के समनापुर जनपद क्षेत्र की ग्राम पंचायत चांदरानी के बैगा टोला का है, जहां की आबादी 300 से ज्यादा होने के बाद अब तक गांव में जल जीवन मिशन व नल जल योजना नहीं पहुंच पाई है। बैगा ग्रामीण अपनी प्यास बुझाने के लिए पैदल पथरीले रास्तों से होकर छोटी झिरिया तक पहुंचते हैं। गड्ढे (कुंड) में पानी इकट्ठा दिखता है उसे लोटे के जरिये अपने बर्तन में भरकर घर जाते है। झिरिया का पीला मटमैला पानी जिसे आप अपने जानवरों को भी न पिलाये वह पानी बैगा ग्रामीण स्वयं भी पीते है और मवेशियों को भी पिलाते है।
शिवराज सरकार में मंत्री रह चुके पूर्व केबिनेट मंत्री ओमप्रकाश धुर्वे ने डिंडोरी जिले के हालातों को लेकर जिला पंचायत सीईओ से लेकर कलेक्टर से बात करने की बात कही। अगर फिर भी समस्या नहीं सुलझी तो सीएम तक आवाज पहुंचाई जाएगी।
इस पूरे मामले में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन यंत्री शिवम सिन्हा का कहना है कि चांदपुर ग्राम में जल जीवन मिशन व नल जल योजना नहीं पहुंच पाई है। हैंडपम्प वहां का दिखवाते है। अगर बंद होंगे तो सुधार काम करवाया जाएगा।
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