रायपुर- छत्तीसगढ़ समेत देश का एक बड़ा हिस्सा भीषण जलसंकट से जूझ रहा है. कई हिस्सों में हालात यहां तक पहुंच चुका है कि लोगों को पीने का पानी भी नहीं मिल रहा. लेकिन यह सुनकर आप चौंक पड़ेंगे कि देश में आए इस जलसंकट की वजह कुछ और नहीं बल्कि पश्चिमी सभ्यता है ! दरअसल मोदी सरकार में मंत्री अर्जुन मेघवाल का कुछ यही कहना है. छत्तीसगढ़ दौरे पर पहुंचे अर्जुन मेघवाल से एयरपोर्ट पर जब पत्रकारों ने पूछा कि- देश जलसंकट से जूझ रहा है. नदियां मृतप्राय स्थिति में पहुंच गई हैं. इन्हें कैसे पुर्नजीवित किया जाएगा? इसके जवाब में मेघवाल ने कहा कि- पानी का उपयोग भारतीय संस्कृति के अनुरूप होना चाहिए. लेकिन ऐसा हुआ क्या? पहले हम पीने के लिए लोटा, नहाने के लिए बाल्टी का उपयोग करते थे. यदि कोई बड़ा घर हुआ, तो घड़े का इस्तेमाल किया जाता थ, लेकिन जब से हमने पश्चिमी सभ्यता अपनाई, हमने टब का उपयोग शुरू कर दिया. टब क्या हमारी संस्कृति का हिस्सा थी क्या?
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केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल के इस दिलचस्प बयान के बीच दिल्ली में पानी की बढ़ती किल्लत को लेकर सुप्रीम कोर्ट की उस टिप्पणी पर भी गौर करना चाहिए, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में पानी के हालात इतने खराब हो गए हैं कि हम राष्ट्रपति को भी पानी नहीं पिला पा रहे हैं. कोर्ट ने कहा था- पानी की स्थिति बहुत गंभीर हो गई है. अगर ऐसा ही रहा तो विश्व युद्ध की बात छोड़िए दिल्ली में पानी के लिए ही युद्ध शुरू हो जाएगा. कोर्ट ने कहा कि- हम ये नहीं समझ पा रहे हैं कि कोई इसे गंभीरता से क्यों नहीं ले रहा.
बता दें कि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने पिछले आंकलन के मुताबिक जो रिपोर्ट पेश की गई थी, उस रिपोर्ट में देश के 6584 ब्लाॅक में सर्वे करने पर पता चला कि इनमें से 1034 ब्लाॅक में भूजन का जरूरत से ज्यादा दोहन हो चुका है. केंद्र सरकार की ही एक रिपोर्ट के मुताबिक देशभर के जलाशयों में पानी का स्तर घटकर पिछले दस सालों के औसत स्तर के भी नीचे आ गया है. ऐसे में जैसे-जैसे गर्मी बढ़ती जाएगी, पानी का स्तर तेजी से नीचे जाता जाएगा. कई राज्यों में पीने के पानी की किल्लत होने की आशंका है. केंद्रीय जलसंसाधन मंत्रालय के मुताबिक देशभर के 91 जलाशयों में पानी का स्तर 25 फीसदी रह गया है, यह पिछले दस सालों के औसत से 28 फीसदी कम है. जलसंकट के दौर से छत्तीसगढ़ भी अछूता नहीं है. बीते दो सालों में अनियमित बारिश की वजह से नदियों में भराव सामान्य नहीं रहा. कम बारिश की वजह से राज्य के ज्यादातर डैम सूखे हुए हैं. डैम में स्टोर पानी इतना नहीं है कि राज्य की जरूरत पूरी कर सके. देश में विकराल होते जलसंकट को दूर किए जाने के तमाम सरकारी उपायों के बावजूद नतीजा सिफर है और नतीजा नहीं दे पाने वाली मोदी सरकार के मंत्री अर्जुन मेघवाल जलसंकट की वजह पश्चिमी सभ्यता को बता रहे हैं.
इधर पुनिया ने पूछा टब में नहाने वाले कौन?
अर्जुन मेघवाल के इन बयानों पर कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पी एल पुनिया ने कहा कि- मैं केंद्रीय मंत्री के बयान से सहमत नहीं हूं. टब में नहाने वालों की संख्या कितनी है. देश की एक बड़ी आबादी गांव में है. पुनिया ने कहा कि आखिर टब में नहाने वाले लोग कौन हैं? क्या ये बीजेपी के ही लोग हैं?