चमोली. करीब 6 महीनों के लंबे इंतजार के बाद रविवार को बद्रीनाथ धान के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गए. ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के कपाट खोले गए. इसके बाद अब अगले छह महीने तक भक्त भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकेंगे.

इस पावन क्षण अवसर के साक्षी बनने के लिए भक्त हजारों की संख्या में बद्रीनाथ धाम पहुंचे. रविवार सुबह बद्रीविशाल मंदिर के कपाट खुलते ही जय बद्रीनाथ के जयघोष से परिसर गूंज उठा. जिसके बाद मंदिर में पहली पूजा और महाभिषेक पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से किया गया. उनकी ओर से विश्व कल्याण और आरोग्यता की भावना से पूजा-अर्चना की गई. कपाट खुलने के बाद भगवान बद्रीविशाल को ठंड के दौरान औढ़ाए गए घी से लेपित उनके कंबल का प्रसाद वितरित हुआ. बद्रीनाथ धाम के साथ ही सुभांई गांव स्थित भविष्य बद्रीधाम के कपाट भी भक्तों के लिए खोल दिए गए.

स्त्री रूप धारण कर पूजा करते हैं पुजारी

रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी ने स्त्री वेश धारण कर गर्भगृह से सर्वप्रथम मां लक्ष्मी को परिक्रमा स्थल से लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया. इसके बाद उद्धव जी व कुबेर जी समेत गरुड़ जी को गर्भ गृह में स्थापित किया गया. इसके साथ ही शंकराचार्य जी की गद्दी को मंदिर परिक्रमा स्थल पर विराजमान किया गया.

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शनिवार देश शाम पहुंची डोली

बता दें कि शनिवार को पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बद्री मंदिर से बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, नायब रावल शंकरन नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल और बदरीनाथ के वेदपाठी आचार्य ब्राह्मणों की अगुवाई में भगवान उद्धव जी की डोली के साथ जगद्गुरू आदि शंकराचार्य जी की गद्दी व तेल कलश यात्रा (गाडू घड़ा) दोपहर बाद बदरीनाथ धाम पहुंची थी.

मंदिर के कपाट खुलने का क्रम

सबसे पहले बद्रीनाथ धाम के दक्षिण द्वार से भगवान कुबेर जी की डोली ने प्रवेश किया. इसके बाद रावल, धर्माधिकारी और वेदपाठियों ने उद्धव जी के साथ मंदिर में प्रवेश किया. फिर रावल और धर्माधिकारियों द्वारा द्वार पूजन किया गया. इसके बाद श्रद्धालुओं के लिए बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए. जिसके बाद गर्भगृह में भगवान बद्रीविशाल की पूजा शुरू हुई.