ज्योतिष में पितृ दोष को एक महत्वपूर्ण और गंभीर दोष माना जाता है. यह दोष हमारे पूर्वजों के असंतोष या किसी अधूरे कार्य के कारण उत्पन्न होता है, जिसका प्रभाव हमारी कुंडली और जीवन पर पड़ता है. आइए जानते हैं कि कुंडली में पितृ दोष के क्या संकेत होते हैं और इससे मुक्ति पाने के लिए आप क्या उपाय कर सकते हैं.

पितृ दोष के प्रमुख संकेत
- विवाह में देरी या बाधा: शादी तय होने के बाद भी टूट जाना या विवाह में अत्यधिक देरी होना.
- संतान संबंधी समस्याएँ: संतान प्राप्ति में समस्या, गर्भपात होना या बच्चों का बीमार रहना.
- आर्थिक परेशानियाँ: लाख कोशिशों के बाद भी धन की बचत न होना, कर्ज में डूबना या व्यापार में लगातार घाटा होना.
- पारिवारिक कलह: परिवार के सदस्यों के बीच आपसी तालमेल की कमी और बेवजह के झगड़े.
- मानसिक तनाव: डिप्रेशन, अज्ञात भय, और बार-बार बुरे सपने आना.
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ: घर के सदस्यों का बार-बार बीमार पड़ना और बीमारियों का जल्दी ठीक न होना.
पितृ दोष के निवारण के अचूक उपाय
- पितृ तर्पण और श्राद्ध: हर अमावस्या को, विशेषकर श्राद्ध पक्ष में, अपने पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं.
- पीपल के पेड़ की पूजा: हर शनिवार को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएँ और शाम को दीपक जलाएँ. पीपल में पितरों का वास माना जाता है.
- गरीबों को दान: गरीबों, ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और धन का दान करें. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
- श्रीमद्भागवत गीता का पाठ: घर में रोजाना श्रीमद्भागवत गीता के सातवें अध्याय का पाठ करना भी बहुत लाभकारी माना जाता है.
- पितृ गायत्री मंत्र का जाप: ॐ पितृगणाय विद्महे जगद्धारिण्यै धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात् – इस मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें.
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