जगदलपुर. बस्तर क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक धरोहरों, झरने,आदिम संस्कृति और गुफाओं के लिए विश्व प्रसिद्ध है. चित्रकोट जलप्रपात, तीरथगढ़ जलप्रपात, कुटुमसर गुफा और दंतेवाड़ा का माँ दंतेश्वरी मंदिर जैसे अनेक पर्यटन स्थल एक बार फिर राज्य और देश के पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं. नए साल पर उमड़ी पर्यटकों की भीड़ न केवल पर्यटन क्षेत्र के लिए वरदान साबित हो रही है, बल्कि इससे स्थानीय व्यवसाय, होटल और हस्तशिल्प उद्योग को भी बढ़ावा मिल रहा है.. यह दर्शाता है कि यदि क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनी रहती है, तो बस्तर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में अपनी पहचान और भी मजबूत कर सकता है.
बस्तर संभाग में पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों की बढ़ती संख्या इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता की ओर बढ़ते कदमों का संकेत है. विष्णुदेव साय और उनकी सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास पर विशेष ध्यान देने के परिणामस्वरूप यहां का माहौल पहले से अधिक सुरक्षित हुआ है..सरकार की यह पहल न केवल नक्सल समस्या को नियंत्रित करने में मददगार है, बल्कि क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक विकास में भी सहायक है.
बस्तर संभाग में नक्सलवाद की छाया कम होने और सुरक्षा व्यवस्था में सुधार के चलते पर्यटकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.. पिछले एक साल में पर्यटकों की संख्या में 30% तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो क्षेत्र के विकास और स्थिरता की दिशा में सकारात्मक संकेत है…मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर प्रशासनिक अधिकारियों ने भी पर्यटकों का स्वागत करते हुए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए हैं, जिससे पर्यटक निर्भीक होकर बस्तर के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद ले सकें…बस्तर में उमड़ती पर्यटकों की भीड़ क्षेत्र की बदलती छवि और विकास की दिशा में उठते कदमों का प्रमाण है.
नववर्ष के अवसर पर बस्तर संभाग के विभिन्न पर्यटन स्थलों में पर्यटकों की भारी भीड़ देखी गई, जो क्षेत्र में बढ़ती शांति और सुरक्षा का संकेत है…आईये एक नजर डालते हैं बस्तर संभाग के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर,जो नक्सली हिंसा के चलते एक समय वीरान रहते थे,लेकिन आज विष्णुदेव साय सरकार के सुशासन के चलते ये इलाके एक बार फिर गुलजार होने लगे हैं.
चित्रकोट जलप्रपात
‘भारत का नियाग्रा’ कहे जाने वाले इस जलप्रपात ने इस लाल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित किया… नए साल के आगमन के साथ, छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित प्रसिद्ध चित्रकोट जलप्रपात में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे.. यह जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिये प्रसिद्ध है…साल के शुरुआती दिनों में यहां मौसम सुहावना होता है और जलप्रपात अपने पूरे प्रवाह पर होता है, जो पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनता है.. पर्यटकों ने यहां कुदरत की अद्भुत छटा का आनंद लिया, नाव की सवारी की और आसपास के क्षेत्र में फोटो खींचने और पिकनिक मनाने का आनंद लिया..चित्रकोट जलप्रपात न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश के पर्यटन मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है.. नए साल पर यहां उमड़ी भीड़ इस बात का संकेत है कि यह स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए एक पसंदीदा गंतव्य है.
तीरथगढ़ जलप्रपात
प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध इस स्थल पर भी पर्यटकों की भीड़ उमड़ी..नए साल के मौके पर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित तीरथगढ़ जलप्रपात में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचे.. यह जलप्रपात अपनी बहुस्तरीय संरचना और प्राकृतिक सुंदरता के कारण प्रसिद्ध है..नए साल की छुट्टियों के दौरान पर्यटक यहां के हरे-भरे जंगल, शांत वातावरण और जलप्रपात की अद्भुत धारा का आनंद लेने पहुंचे. तीरथगढ़ जलप्रपात, जो कि कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान का हिस्सा है, प्रकृति प्रेमियों और साहसिक पर्यटन के शौकीनों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है.
कुटुमसर गुफा
नए साल के अवसर पर छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में स्थित कुटुमसर गुफा में बड़ी संख्या में पर्यटक उमड़े.. यह गुफा अपने अद्वितीय चूना पत्थर संरचनाओं और रहस्यमय वातावरण के लिए प्रसिद्ध है..कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में स्थित कुटुमसर गुफा भारत की सबसे लंबी और गहरी प्राकृतिक गुफाओं में से एक है.. नए साल की छुट्टियों में पर्यटक इस गुफा के अद्भुत भूवैज्ञानिक संरचनाओं, स्टैलेक्टाइट्स और स्टैलेग्माइट्स को देखने पहुंचे..यहां गुफा के भीतर मौजूद चूना पत्थर से बनी संरचनाएं पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती हैं..गुफा के अंदर स्थित भूमिगत जलाशयों में पाई जाने वाली दुर्लभ प्रजाति की अंधी मछलियां विशेष आकर्षण का केंद्र हैं..गुफा के अंदर का ठंडा और रहस्यमय वातावरण साहसिक पर्यटकों को बेहद रोमांचित करता है..प्रशासन ने गुफा के भीतर पर्यटकों की सुरक्षा और मार्गदर्शन के लिए विशेष इंतजाम किए…नए साल की भीड़ को देखते हुए प्रवेश के लिए सीमित संख्या में पर्यटकों को अनुमति दी गई और गुफा के अंदर रोशनी व ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था की गई.
धुड़मारास गांव
संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन द्वारा सर्वश्रेष्ठ पर्यटन गांवों में चयनित इस गांव में भी पर्यटकों की बढ़ती संख्या देखी गई..घुडमारास गांव, जो अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, नए साल के मौके पर पर्यटकों की भारी भीड़ का गवाह बना।..दूर-दूर से पर्यटक गांव की शांत वादियों और मनोरम दृश्यों का आनंद लेने पहुंचे..इस दौरान पर्यटकों ने गांव की पारंपरिक संस्कृति, लोक नृत्य और स्थानीय व्यंजनों का लुत्फ उठाया.. साथ ही यहां की पहाड़ियों, झरनों और अन्य प्राकृतिक स्थलों पर बड़ी संख्या में लोगों को घूमते हुए देखा गया…नए साल पर ऐसी भीड़ दर्शाती है कि घुडमारास गांव धीरे-धीरे पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बना रहा है।
तिरिया
बस्तर जिले का नया पर्यटन स्थल तिरिया भी नववर्ष के आगमन के साथ पर्यटकों के लिए आकर्षण का मुख्य केंद्र बन गया है.. बस्तर जिले के तिरिया को हाल ही में एक नए पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया है.. यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जा रहा है.. तिरिया बस्तर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक बनने की ओर अग्रसर है, जो पर्यटकों को स्थानीय जनजातीय संस्कृति, परंपराओं और प्राकृतिक परिवेश का अनुभव कराने का अवसर प्रदान करता है.. तिरिया में हरे-भरे जंगल, पहाड़ियां और शांत वातावरण है, जो इसे एक आदर्श पिकनिक और एडवेंचर स्थल बनाता है..यहां पर्यटक बस्तर की जनजातीय जीवनशैली, उनके नृत्य, संगीत और हस्तशिल्प को करीब से देख सकते हैं.. तिरिया में बस्तर के पारंपरिक व्यंजन का स्वाद लेने का अनुभव भी विशेष है..बस्तर प्रशासन द्वारा इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें बेहतर सड़कें, रहने की व्यवस्था और अन्य सुविधाओं का निर्माण शामिल है.. तिरिया आने वाले पर्यटकों के लिए यह एक शांत और मनोरम स्थल साबित हो रहा है.
उपरोक्त प्रसिद्ध स्थलों के अलावा कांकेर,कोंडागांव,नारायणपुर,बीजापुर,सुकमा और दंतेवाडा़ा जिले के तमाम पर्यटन स्थलों पर भी लंबे अंतराल के बाद पर्यटकों की चहल पहल देखी गई,जो इस बात को रेखांकित करता है कि नक्सलियों का खौफ इन इलाकों से खत्म हो रहा है और लोग एक बार फिर एतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर से समृद्ध बस्तर संभाग में पर्यटन करना चाहते हैं.
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