दुर्ग . बीमा पॉलिसी की मैच्योरिटी उपरांत पूरा भुगतान ना कर आधा अधूरा भुगतान करने को व्यवसायिक कदाचरण और सेवा में निम्नता करार देते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने आदेश पारित कर बीमा कंपनी एवं बैंक पर 22 हजार रुपये हर्जाना लगाया.
क्या है मामला
ग्राम संजारी, तहसील डौंडीलोहारा, जिला बालोद निवासी कृपाराम सोनकर का बचत खाता छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक की देवरी शाखा में संचालित था। बैंक द्वारा बजाज आलियांज लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड की बीमा पॉलिसी का प्रचार करते हुए सर्वशक्ति सुरक्षा पॉलिसी परिवादी को दिनांक 04.10.2011 को जारी कराई गई थी, जिसके तहत परिवादी ग्राहक के खाते से रु. 10000 प्रतिवर्ष 05 साल तक काटा जाना था, 5 वर्ष में कुल रु. 50000 प्रीमियम काटा गया किंतु 5 वर्ष पश्चात परिवादी को पूरी परिपक्वता राशि प्रदान नहीं की गई.
अनावेदकगण का जवाब
प्रकरण में अनावेदक बीमा कंपनी ने जवाब दिया कि उसे परिवादी से प्रीमियम स्वरूप पाँच वर्ष की बजाय केवल तीन वर्ष की प्रीमियम राशि कुल रु. 30000 ही प्राप्त हुए थे जिसके अनुसार परिवादी को परिपक्वता राशि रु. 31181 का भुगतान किया गया है.
अनावेदक बैंक की दलील थी कि बीमा कंपनी द्वारा संचालित सर्व सुरक्षा पॉलिसी बैंक के माध्यम से जारी की गई थी, बैंक ने परिवादी के खाते से समस्त 5 प्रीमियम काटकर बीमा कंपनी को प्रेषित किया था इसीलिए बीमा राशि की अदायगी के लिए बीमा कंपनी जिम्मेदार है.
फोरम का फैसला
प्रकरण में पेश किए गए दस्तावेजों एवं दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के पश्चात विचारण करते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने यह प्रमाणित पाया कि परिवादी के बचत खाते से पांचों वर्ष के प्रीमियम की कटौती की गई थी किंतु उसे मात्र 3 वर्ष के प्रीमियम रु. 30000 के आधार पर परिपक्वता राशि रु. 31181 का भुगतान किया गया जबकि परिवादी सभी पांच वार्षिक प्रीमियम की कुल जमा राशि रु. 50000 के आधार पर परिपक्वता राशि प्राप्त करने का अधिकारी था। फोरम ने कहा कि परिवादी को संपूर्ण परिपक्वता राशि प्राप्त नहीं होकर आंशिक राशि प्राप्त हुई है इस कारण परिवादी बकाया राशि रु. 186819 प्राप्त करने का अधिकारी है.
जिला उपभोक्ता फोरम ने पाया कि बैंक और बीमा कंपनी दोनों ने परिवादी के साथ गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। बीमा कंपनी और बैंक दोनों ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का प्रयास किया है। बीमा कंपनी का बैंक के साथ इंश्योरेंस कांट्रैक्ट है, दोनों का एक-दूसरे के साथ व्यवसायिक टाईअप है किंतु दोनों अनावेदक के व्यवसायिक संबंधों से खाताधारी ग्राहक को कोई लेना-देना नहीं है। बैंक और बीमा कंपनी दोनों को सेवा में निम्नता के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष लवकेश प्रताप सिंह बघेल, सदस्य राजेन्द्र पाध्ये और लता चंद्राकर ने दोनों पर रु. 22000 हर्जाना लगाया, जिसके अंतर्गत पॉलिसी की शेष राशि रु. 18819, मानसिक क्षतिपूर्ति स्वरुप रु. 3000, तथा वाद व्यय के रूप में रु. 1000 हर्जाना लगाया गया, साथ ही देय राशि पर 6% वार्षिक दर से ब्याज भी अदा करना होगा.