उमरिया. भारत में अतिथि को देवता का दर्जा दिया गया गया है. वेदों में भी लिखा है अतिथि देवो भव:, वेदों में लिखी इन चंद पंक्तियों की बानगी उमरिया जिले के एक छोटे से गांव बीजापुर में देखने को मिली. जहां पिछले एक साल से नेपाल से भटकी हुई तारा जब बीजापुर पहुंची तो गांव के हर एक व्यक्ति के लिए वे आंखों का तारा बन गई थी.

महिला की भाषा ग्रामीणों के समझ के बाहर थी
बता दें कि लॉक डाउन 1.0 के दौरान 3 अप्रैल 2020 को उमरिया जिले के बीजापुर में एक महिला भटकते हुए पहुंची. महिला की भाषा ग्रामीणों के समझ के बाहर थी इसलिए उन्हें लगा कि यह कोई मानसिक विक्षिप्त महिला है. ग्रामीणों ने उसे गांव से भगाया नहीं बल्कि उसे रहने के लिए एक छत और 2 जून की रोटी मुहैया कराई. गांव के युवा सोशल मीडिया का सहारा लेकर तारा के परिजनों को ढूढने लगे. एक वर्ष के प्रयास के बाद जिला प्रशासन की मदद से तारा के परिजनों के बारे में जानकरी मिल गई.

विदाई में पूरा गांव रो पड़ा
आज जब तारा के परिजन उसे लेने उमरिया पहुंचे तो एक ओर परिजन को देख तारा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. वहीं बीजापुर गांव को छोडऩे का गम भी तारा की आखों से झलकता दिखाई दिया. तारा की विदाई में पूरा गांव रो पड़ा.  बीजापुर के लोग उदास है कि तारा अब एक कहानी बनकर उनकी यादों में रह गई. वहीं उन्हें इस बात की खुशी भी है कि तारा को अपनों का सहारा मिल गया. कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने तारा की विदाई के दौरान उन्हें स्मृति चिन्ह भेंट किया.