शशांक द्विवेदी, खजुराहो। मध्य प्रदेश में अन्नदाता किसानों को राहत देने के लिए राज्य सरकार सैंकड़ों जतन कर रही है। अलग-अलग योजनाओं के जरिए उन्हें कर्ज मुक्त बनाने की कवायद की जा रही है। लेकिन सहकारिता विभाग शासन की मंशा पर कालिख पोत रहा है। दरअसल एक मामला सामने आया है जहां तत्कालीन शिवराज सरकार ने एक किसान का कर्ज माफ किया था। लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने शासन की ओर से जारी उसके प्रमाण पत्र को ही अमान्य बता दिया है जिसमें इस बात की पुष्टि हो रही थी कि उसका कर्ज शासन की ओर से माफ किया जा चुका है। पूरा मामला राजनगर तहसील के चंद्रनगर गांव का है।
किसान राजेश दुबे ने बताया कि पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान के शासन काल में उसका जिला सहकारी केंद्रीय बैंक बमीठा शाखा के चंद्रनगर में मूलधन और ब्याज मिलाकर तकरीबन 1 लाख 24 हजार रुपए का कर्ज था। समिति के दबाव बनाने पर उसने जैसे तैसे पूरा कर्ज अदा किया। इसी बीच 13 जून 2023 को पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किसान कृषक ब्याज माफी योजना के तहत उसका 46 हजार 605 रुपए माफ कर दिया गया।
किसान राजेश दुबे को मोबाइल में मैसेज भी मिला जिसमें साफ अक्षरों में लिखा है कि आप कर्ज मुक्त हो चुके हैं। आपका ब्याज माफ कर दिया गया है। किसान के पास इसका सबूत भी है। लेकिन जब किसान राजेश दुबे सहकारिता विभाग के चंद्रनगर समिति पहुंच कर शासन के माफ किए गए राशि को वापिस लौटने की मांग के लिए गया तो सहकारिता विभाग के अधिकारियों ने शासन की ओर से जारी प्रमाण पत्र को अमान्य बताकर एक साल तक किसान को गुमराह करते रहे।
किसान दर-दर भटकने को मजबूर हो गया। इस बीच परेशान होकर न्याय की गुहार लगाने किसान राजेश दुबे तहसील कार्यालय जा पहुंचा जहां उसने तहसीलदार को लिखित शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
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