रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वन भूमि पर वर्षों से काबिज लोगों को जंगल जमीन का मालिकाना हक प्रदान करने की महत्वाकांक्षी योजना संचालित है। इस योजना के तहत वन अधिकार पत्र मिलने से बस्तर जिले के विकासखण्ड बकावण्ड के आदिवासी भूमिहीन व्यक्ति लघुनाथ के खुशहाल जीवन का आधार बन गई है।

राज्य सरकार के निर्णय के फलस्वरूप लघुनाथ 3.82 हेक्टेयर जमीन का वनाधिकार पत्र मिलना उसके लिए किसी बड़े सपने के साकार होने जैसा है। वह इस जमीन पर धान के अलावा मक्का, सरसों आदि फसलों का भी उत्पादन कर रहे हैं। इस वर्ष उन्होंने कुल 25 हजार 700 रूपए की राशि की समर्थन मूल्य पर धान की बिक्री की है। इसके अलावा मक्के की फसल से 37 हजार 500 सरसों एवं दलहनी की फसलों से आमदनी हुई है। लघुनाथ ने कहा कि उसे इस जमीन का वनाधिकार पत्र मिलने से उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए समुचित मात्रा में अनाज उपलब्ध होने के साथ-साथ फसलों की बिक्री से आर्थिक लाभ होने कारण यह योजना उनके परिवार के आर्थिक समृद्धि का आधार भी बनी है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार की सरहाना करते हुए किसान लघुनाथ ने बताया कि उनके पूर्वजों के द्वारा इस जमीन पर लगभग 75 साल पहले से काबिज होने के उपरांत भी उसे हमेशा इसके मालिकाना हक मिलने की चिंता सताती रहती थी। राज्य सरकार के संवेदनशील निर्णय के फलस्वरूप उन्हें इस काबिज जमीन का वनाधिकार पत्र मिलने से परिवार की वर्षों पुरानी मुराद पूरी हो गई है। लघुनाथ ने बताया कि उनके परिवार के द्वारा इस जमीन में वर्षों पहले से काबिज होकर खेती-किसानी करने के कारण जमीन के साथ भावनात्मक संबंध स्थापित हो गया था।

आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वनवासियों को जंगल पर उनके अधिकारों को मान्यता देने के लिए 2006 में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून पूरे देश में लागू किया गया। प्रदेश में 13 दिसम्बर 2005 से पहले वन क्षेत्र में काबिज वनवासियों को वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत लाभ दिया जा रहा है। इसमें वनक्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीणों को शासन द्वारा व्यक्तिगत और सामुदायिक पत्र का वितरण किया जाता है।