सुरेश परतागिरी, बीजापुर। जिले में शिक्षा विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है, जहां अवैध रूप से स्कूल चल रहे. मद्देड़ और कुटरू क्षेत्र में प्राइस पब्लिक स्कूल बिना किसी मान्यता के संचालित हो रहे हैं. दोनों जगहों में लंबे समय से नियमों को ताक पर रखकर संस्था के संचालक बेखौफ स्कूल चला रहे. वर्तमान में दोनों जगहों के स्कूलों में लगभग 100 से अधिक बच्चे अध्ययनरत हैं. शिक्षा विभाग की अनदेखी और जिला शिक्षा कार्यालय की मिलीभगत के चलते यह स्कूल खुलेआम चल रहा है, जिससे बच्चों का भविष्य अधर में है.


शिक्षा नियमों की हो रही अवहेलना
राज्य और केंद्र सरकार दोनों ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किया है कि किसी भी निजी स्कूल का संचालन केवल तभी संभव है जब उसे शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त हो. इसके लिए भवन की सुरक्षा, स्वच्छता, कक्षाओं की उपलब्धता, योग्य शिक्षक, खेल और पुस्तकालय जैसी सुविधाएं अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. इन सभी मापदंडों को पूरा करने के बाद ही मान्यता प्रदान की जाती है. जानकारी के अनुसार मद्देड़ व कुटरू क्षेत्र में चल रहा प्राइस पब्लिक स्कूल सभी नियमों की अनदेखी करते हुए चल रहा है. न तो इन संस्थाओं के पास किसी प्रकार की अनुमति कागज है और न ही यह पंजीकृत विद्यालयों की सूची में शामिल है. बावजूद इन दोनों संस्थाओं पर विभागीय स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है.
जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे विभागीय अधिकारी
अब सबसे बड़ा सवाल यही उठ रहा है कि जब यह स्कूल शिक्षा विभाग से मान्यता प्राप्त नहीं है तो आखिरकार यह संस्था किसकी अनुमति से संचालित हो रही है. मान्यता रहित स्कूल का संचालन इस बात का प्रमाण है कि विभागीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं. नियमित निरीक्षण, जांच और सत्यापन की प्रक्रिया को नजरअंदाज जा रहा है. इस मामले में डीईओ और शिक्षा विभाग की मिलीभगत सामने आ रही है.
100 से अधिक बच्चों का भविष्य अधर में
जिले के मद्देड़ व कुटरू क्षेत्र में अवैध संचालित स्कूलों में पढ़ रहे 100 से अधिक बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है कि उनकी पढ़ाई मान्य नहीं मानी जाएगी. बिना मान्यता वाले स्कूल द्वारा जारी किसी भी प्रमाणपत्र की वैधता नहीं होगी. परिणाम स्वरूप छात्रों को आगे की पढ़ाई में बाधा आ सकती है. इसके चलते किसी प्रकार की अनहोनी होगी तो जिम्मेदार कौन होगा? ये बड़ा सावल है. शैक्षणिक दृष्टि से देखा जाए तो यह स्थिति सीधे तौर पर बच्चों के भविष्य को प्रभावित करती है. स्कूल के संचालन से विभागीय आंकड़ों में शिक्षा का प्रतिशत भले ही बेहतर दिखाई दे, लेकिन हकीकत में यह पूरी प्रक्रिया अवैध और बच्चों के हितों के विपरीत है.
डीईओ और स्कूल संचालक ने क्या कहा?
इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी लखन लाल धनेलिया ने कहा कि मामले की जांच की जाएगी. अगर गड़बड़ी पाई जाएगी तो नियम अनुसार कार्रवाई की जाएगी. वहीं प्राइस स्कूल के संचालक ने लल्लूराम डॉट. कॉम से बातचीत में कहा कि संस्था की अनुमति के लिए जिला शिक्षा विभाग में सारे कागज जमा करवा दिया गया है. सरकारी प्रक्रिया है, देरी होती ही है.
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