मुंगेली. जिले के चिरहुला गांव में शासकीय प्राथमिक शाला का जो हाल हम आपको बताने जा रहे हैं. उसे पढ़कर गुस्सा जरूर आएगा. इस सिस्टम के अधिकारियों का जो रटा रटाया जवाब है उसे पढ़कर आप भी कहेंगे वाकई ये सिस्टम पूरी तरह थक चुका है. दरअसल इस गांव में मात्र एक ही स्कूल है. जो पिछले कई सालों से जर्जर पड़ी हुई है. इसकी शिकायत भी शिक्षा अधिकारियों से की गई, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. इसका खामियाजा अब यहां पड़ रहे बच्चों को भुगतना पड़ रहा है.
ये मामला जिला मुख्यालय से महज 8 किमी की दूरी में बसा शासकीय प्राथमिक चिरहुला स्कूल का है. जहां देश के भविष्य कहे जाने वाले छात्र-छात्राएं जान जोखिम में डालकर अपने सुनहरे भविष्य को गढ़ने के लिए मजबूर हैं. इस स्कूल का भवन पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. दीवारों को देखकर ऐसा लग रहा है कि किसी भी वक्त यह गिर सकता है. स्कूल के छत से पानी टपकता रहता है. इतना ही नहीं अब तो बारिश भी शुरु हो चुका है. जिससे आए दिन इस स्कूल के अंदर और बाहर पानी भरने से स्कूल का मैदान तालाब में तब्दील हो जाता है. इस वजह से कभी भी बच्चों के साथ कोई अनहोनी हो सकती है.
इस बारे में ग्रामीणों ने कई बार गांव के जनप्रतिनिधि सहित शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को अवगत कराया है, लेकिन अभी तक किसी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. शिक्षकों ने भी इसकी शिकायत शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से की है. फिर भी कोई मरम्मत या हो रही समस्या का समाधान नहीं किया गया. जिसके चलते ग्रामीणों समेत छात्रों में भी भारी आक्रोश बना हुआ है.
वहीं इस बारे में शिक्षा विभाग के जिला शिक्षा अधिकारी एनके चन्द्रा ने मामले को संज्ञान में लेने की बात कहते हुए रटा रटाया जवाब देने से नहीं चुके. बहरहाल अब देखना यह होगा कि बदहाल हो चुके इस स्कूल का मरम्मत कार्य कब तक कराया जाएगा या फिर देश का भविष्य कहे जाने वाले ये बच्चे इस जर्जर स्कूल में ही अपने सपने को साकार करेंगे. ये आने वाले समय में ही पता चल पाएगा.