राजगढ़, मनीष राठौर। मध्य प्रदेश सरकार हो या चाहे भारत सरकार. बच्चों को पहली से लेकर आठवीं तक शिक्षित करने का दावा करती है. हर बच्चे को स्कूल बिल्डिंग से लेकर और अन्य सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार हर गांव में प्राइमरी स्कूल और मिडिल स्कूल का निर्माण करवाती है. वहीं सरकार चाहती है कि राइट टू एजुकेशन के अंतर्गत 3 किलोमीटर से ज्यादा किसी बच्चे को दूर स्कूल न जाना पड़े. इसके लिए हर गांव में स्कूल बिल्डिंग का निर्माण करवाती है, लेकिन मध्यप्रदेश के राजगढ़ जिले में कुंडालिया डैम निर्माण करवाने के बाद बंजारा पूरा और सिरपोई गांव की स्कूल की बिल्डिंग डूब क्षेत्र में चली गई. जिससे अब बच्चों जीवन अंधकार में है. आलम यह है कि बच्चों को मजबूरी में एक किराए के मकान में बैठकर पढ़ना पढ़ रहा है.

बच्चों के टूट रहे हौंसले

चाहे सरकारें कितने दावे कर लें, लेकिन जमीनी स्तर पर यह दावे खोखले साबित होते हुए दिखाई देते हैं. जिसकी एक बानगी जिले में भी देखने को मिली. यहां जीरापुर विकासखंड के अंतर्गत आने वाले बंजारा पूरा और सिरपोई स्कूल के 115 बच्चे अपना स्कूल डूब जाने के कारण एक किराए के मकान में संचालित हो रहे सरकारी स्कूल में पढ़ने को मजबूर हैं. इतना ही नहीं कक्षा उपलब्ध नहीं होने के कारण एक खुले बरामदे में बैठकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. जहां बच्चों में पढ़ाई करने को लेकर तो जुनून है और वे 1-2 किलोमीटर पैदल चलकर आते हैं, लेकि स्कूल की बिल्डिंग और अन्य सुविधाओं के अभाव से अब उनका हौसला भी टूटने लगा है.

नहीं बन पाई स्कूल की बिल्डिंग

जल परियोजना के अंतर्गत कुंडालिया डैम का निर्माण किया गया था. काली सिंध नदी के ऊपर बने इस परियोजना का निर्माण लगभग 3448 करोड़ रुपए से भी ज्यादा लागत से हुआ था. जिसके अंतर्गत आने वाले कई डूब क्षेत्र के ग्रामीणों को करोड़ों रुपए का मुआवजा दिया गया था. जिससे ग्रामीण क्षेत्र में आने वाले स्कूल भी डूब क्षेत्र में आने के कारण बंद कर दिए गए हैं और 2017 में डैम का निर्माण हुआ था. इसका उद्धाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून 2018 में मोहनपुरा और कुंडालिया दोनों डैम का किया था. जिसके बाद से ही स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे अपने स्कूल के लिए तरस रहे हैं. आलम यह है कि स्कूल का भवन नहीं होने के कारण वे लगातार किराए के भवन में पढ़ने को मजबूर हैं.

अधर में लटका 115 बच्चों का भविष्य

इस स्कूल में 115 बच्चों के नाम दर्ज हैं. सरकार, सरकारी स्कूलों में सभी सुविधाओं का दावा करती है, लेकिन एक किराए के भवन में किस प्रकार बच्चों को सुविधाएं मिल पा रही होगी. यह बड़ा सवाल है. वहीं उनके साथ शिक्षक और बच्चे अपने दिनचर्या के कार्य के लिए इधर-उधर जंगल में या खेत खलियान में उनको जाना पड़ता है और पानी के अभाव में लगातार वे स्कूल समय में पानी के लिए तरसते हैं.

कलेक्टर से लेकर विधायक तक दे चुके हैं अर्जी

ग्रामीणों ने गांव के स्कूल डूब जाने के बाद में स्कूल के निर्माण के लिए कलेक्टर से लेकर वर्तमान विधायक
प्रियव्रत सिंह खींची और पूर्व विधायक हजारीलाल दांगी को स्कूल निर्माण करवाने के लिए अर्जी दे चुके हैं. वे लगातार मांग कर रहे हैं कि सरकार जल्द से जल्द बच्चों की इस समस्या का समाधान करें, लेकिन शासन से लेकर प्रशासन तक के कानों पर अबतक जूं तक नहीं रेंगी.

नहीं है टॉयलेट की व्यवस्था

माध्यमिक विद्यालय, सिरपोई के प्रधानाध्यापक राम लाल वर्मा का कहना है कि कुंडलिया डैम का निर्माण होने के बाद 2017 से ही स्कूल की बिल्डिंग डूब क्षेत्र में चली गई है और अब हम हमारा स्कूल एक किराए के भवन में संचालित कर रहे हैं. यहां पर बैठने के लिए बच्चों को पर्याप्त सुविधा नहीं है. यहां पर कुंडालिया डैम का निर्माण होने के बाद बंजारा पूरा के प्राथमिक स्कूल सिरपोई गांव का स्कूल डूब क्षेत्र में चला गया है और इन सभी शालाओं को मिलाकर एकीकृत शाला का निर्माण किया गया. लेकिन स्कूल के अभाव में हम लोगों को स्कूल एक किराए के भवन में संचालित करना पड़ रहा है. जहां हम बाथरूम से लेकर टॉयलेट तक के लिए काफी दूर जाकर जंगलों और खेतों में दिनचर्या का कार्य करना पड़ता हैं. वहीं अगर बारिश आने पर तो हमको और भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.

विकासखंड अधिकारी कैलाश शर्मा का कहना है कि कुंडालिया डैम परियोजना के निर्माण के कारण 4 गांव डूब क्षेत्र में आए थे और इन 4 गांव में से 2 गांव में अभी स्कूलों का निर्माण शुरू हो चुका है, लेकिन सिरपोई गांव में जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण वहां पर स्कूल का निर्माण अभी शुरू नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके लिए राजस्व की टीम निरीक्षण करके आ चुकी है. जमीन उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण स्कूल का निर्माण नहीं हो पा रहा है. जैसे ही स्कूल के लिए जमीन आवंटित हो जाएगी स्कूल का निर्माण शुरू कर दिया जाएगा.