पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद. एक युवक को प्रेम विवाह करना मंहगा पड गया, युवक को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है, साथ ही उसके परिवार वालो को भी उससे बात करने पर समाज से बहिष्कृत करने की चेतावनी दी गयी है. समाज के इस तुगलकी फरमान के सामने पीडित परिवार बेबस नजर आ रहा है.

गरियाबंद का सुपेबेडा अब तक किडनी की बीमारी के कारण चर्चा में रहा है, लेकिन अब एक और वजह से चर्चा में आ गया है. गोवर्धन मांझी को गॉव में रहने वाली दुसरे समाज की लडकी से शादी करने पर कठोर सजा सुनायी गयी है. उसके समाज ने उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया है. यहॉ तक वह अपने परिवार के सदस्यों से भी बात नही कर सकता. यदि उसने ऐसा किया या परिवार के सदस्यों ने उससे बातचीत करने की कौशिश की तो उन्हें भी ये दण्ड भुगतने की चेतावनी दी गयी है.

पिड़ित युवक के बड़े भाई बंसत मांझी का कहना है कि समाज के इस फैसला का उनके परिवार पर बहुत बुरा असर पडा है. उन्हे परिवार को पुस्तैनी घर छोडकर गॉव के बाहर एक झोपडी में रहना पड़ रहा है. बसंत ने बताया कि उनके पिता कुर्तिराम 8 साल से किडनी की बीमारी से जुझ रहे है. किसी तरह ठीक हो जाये इसके लिए उनका उपचार भी कराया. लेकिन बेटे को दिये दण्ड की खबर सुनकर कुर्तिराम की जीने की ईच्छा ही खत्म हो गये है. कुर्तिराम ने खाना पीना और दवाई लेना छोड दिया है. घर के सदस्य उसके मुंह में जबरन पानी डालकर उसे जिंदा रखने की कौशिश कर रहे है।

इस मामले में स्थानीय प्रशासन शिकायत नही मिलने की बात कहकर कुछ करने को तैयार नही है. हालांकि देवभोग के तहसीलदार शरद चन्द्र यादव को जब वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया तो उन्होंने गॉव के दोनो पक्षो से बात कर मामले को सुलझाने का आश्वासन दिया है.

वही ग्रामीण त्रिलोचन पटेल का कहना है कि ऐसा नही है कि समाज के इस फैसले का किसी ने विरोध ना किया हो या फिर समाज को ऐसा करने से ना रोका गया. बल्कि गॉव के कुछ बुद्धिजीवि लोगो ने समाज के इस फैसले का विरोध किया लेकिन समाज के पदाधिकारियों ने उऩ्हें ही नसीहत दे डाली.