पुरुषोत्तम पात्र,गरियाबंद. जिले के देवभोग के माइक्रो फाइनेंस कंपनी प्राईवेट लोमिटेड में 1700 निवेशकों समेत प्रदेश भर के 35 हजार लोगों के 80 करोड़ रुपए से ज्यादा अधर में लटका है. जिसकी सूची न तो प्रदेश सरकार के किसी एजेंसी के पास है न ही ओडिशा सरकार के पास. चुनावी घोषणा के मुताबिक प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने चिट फंड कम्पनी के निवेशकों के पैसे लौटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, लेकिन सरकार के पास जिन 14 कम्पनियों के नाम मौजूद है उनमें ओडिशा से संचालित माइक्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड का नाम नहीं है. इस कम्पनी का प्रदेश के नामी बड़े शहरों के अलावा देवभोग, नगरी जैसे छोटे छोटे ब्लॉक में कुल 27 ब्रांच थे.

धमतरी में मौजूद ब्रांच के मैनेजर हरक राम निषाद के मुताबिक इन 27 ब्रांच में 35 हजार निवेशको ने 80 करोड़ रुपए से ज्यादा निवेश किया है. निषाद ने बताया कि कम्पनी से रकम की वापसी का प्रयास चार साल से किया जा रहा था. नई सरकार के एलान के बाद उम्मीद जागी थी, लेकिन प्रदेश सरकार के पास मौजूद चिट फंड कम्पनियों की सूची में माइक्रोफाइनेंस का नाम नहीं है. सभी ब्रांच से डाटा कलेक्शन कर सरकार के समक्ष मांग पत्र सौंपा जाएगा.

हरक राम निषाद

2014 में कोलकाता की बहुचर्चित शारदा चिट फंड घोटाले का तार ओडिशा में मौजूद इस कम्पनी के साथ जुड़ा था. जिसके बाद कोलकाता सीबीआई ने भुबनेश्वर में स्थित मूख्यालय में छापेमारी कर मुख्य ब्रांच को 2014 में सीज कर दिया. निषाद द्वारा लल्लूराम को उपलब्ध कराए गए दस्तावेज के मुताबिक इस कम्पनी के एमडी दुर्गा प्रसाद मिश्र को सीबीआई ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. 3 साल 6 माह की सजा पूरी करने के बाद उसे सशर्त रिहा किया गया. शर्त के मुताबिक मैनेजिंग डायरेक्टर मिश्र को 105 करोड़ का जुर्माना लिया गया. शर्त के मुताबिक कम्पनी की परिसम्पतियों को कुर्क कर निवेशको को रूपए लौटाना था. 17 से लौटाने की प्रक्रिया भी आरम्भ हुई, पर छतीसगढ़ में लौटाने की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई.

निषाद के मुताबिक जब वे पिटीशन दायर करने एफआईआर की कॉपी निकाली तो उसमे 6 राज्यों का उल्लेख था, लेकिन छत्तीसगढ़ियों के निवेशको का उल्लेख नहीं था. कानूनी पेंच में फंसे रुपयों को निकालने अब एजेंट व कम्पनी के तत्कालीन अधिकारी एक जुट हुए है. निषाद ने बताया कि सारे घटनाक्रम का जिक्र कर 9 फरवरी को धमतरी कलेक्टर के समक्ष शिकायत किया गया है. कलेक्टर आर प्रसन्ना ने मामले में एफआईआर दर्ज करने सिटी कोतवाली को निर्देश जारी किया है.

निषाद ने अधिवक्ताओ से लिए सलाह का हवाला देकर बताया कि इस कम्पनी की शिकायत कही दर्ज नहीं हुई इसलिए राज्य सरकार द्वारा तैयार चिट फंड कम्पनियों की सूची में नाम नहीं आया. धमतरी कलेक्टर आर प्रसन्ना के निर्देश के बाद अब उम्मीद जागी है. एफआईआर के अलावा कलेक्टर ने अभनपुर इलाके में कमलबिहार इलाके से लगे कम्पनी के 40 एकड़ भूमि को कुर्क करने का आदेश भी जारी किया है.

2017 से निवेशको के रकम लौटाने के प्रयास में लगे कर्मियों के समूह ने बताया कि एफआईआर में भले ही निवेशको का उल्लेख नहीं है, लेकिन कम्पनी की सिजिंग सम्पत्ति की सूची छतीसगढ़ में 40 एकड़ जमीन,रॉयपुर धमतरी,चिरमिरी में कम्पनी के निजी भवनो में संचालित करोड़ो के भवन का जिक्र है. इसी आधार पर यहां के 35 हजार से ज्यादा निवेशकों को रुपए वापस मिल सकेगा. लेकिन इस पूरे मामले में राज्य सरकार का दखल जरूरी है.

निषाद ने कहा कि निवेशको के अलावा 2 हजार कर्मी व एजेंट है जिनको कई माह का वेतन नहीं मिला है. जरूरत पड़ी तो सभी एकजुट होकर सरकार के सज्ञान में लाने सभी प्रयास करेंगे. चाहे उन्हें प्रदर्शन भी करना क्यो न पड़े.