रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार एक बाद एक तिहार मना रही है. बोनस के बाद बारी बिजली तिहार की रही. बिजली तिहार के जरिए प्रदेश को जगमग करने की कोशिश सरकार की है. सुदूर अंचल के हर कोने तक बिजली पहुँचे ये प्रयास सरकार की है. खैर ये तो हुई तिहार की अब बात उधार की कर लेते हैं जिसे चुकाने में सरकार की दिलचस्पी दिखती नहीं है. ये और बात है कि आम आदमी या तक एकल बत्ती कनेक्शन वाले किसी गरीब का बिजली बिल अगर हजार-पांच सौ हो और वे दो-तीन महीने तक ना पटे तो बिजली काट दी जाती है. यहां तक उन्हें किस्त में बिजली पटाने का मौका नहीं मिलता है और ऐसे ढेरों प्रकरण फिर लोक अदालत में पहुँच जाता है. लेकिन आप जानकार चौंक जाएंगे मंत्रियों के निवास लेकर सीएम हाउस तक का बिजली बिल करोड़ों में बकाया है. लेकिन बेबस बिजली विभाग सिर्फ नोटिस तक की भेज पा रहा है.
मंत्रियों के उधार के बिजली पर कैसे मुख्यमंत्री से लेकर तमाम मंत्रियों के बंगले कैसे रोशन हो रहे हैं. लेकिन सच कहे तो ये खबर ना तो सरकार के लिए ना ही सरकारी नुमाइंदों के लिए, सच कहे तो ये खबर बिजली के उन आम उपभोक्ताओं के लिए जो जरा सा बिजली बिल की उधारी से डर जाते हैं. क्योंकि यहां तो मंत्रियों तो के निवास के करोड़ों में बिल बकाया है पर इससे किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. लोक निर्माण विभाग जिन्हें बिल जमा करना है उन्हें भी किसी तरह से कोई डर नहीं लगता. डर इस बात को लेकर कि अगर बिजली विभाग ने कनेक्शन काट दिया तो होगा. सवाल ये भी तो है कि कनेक्शन काटने की हिम्मत भला बिजली विभाग के पास कहां है. क्योंकि खुद बिजली विभाग के मुखिया के बंगले का बिल महीनों से नहीं पटा है और उधारी 5 लाख से ज्यादा का है. इसी तरह से संबंधित लोक निर्माण विभाग जिन्हें बिजली चुकता करना है उनके विभाग के मुखिया मंत्री के खुद के बंगले का बिल भी नहीं पटा है. आपको लग रहा होगा कि हम खबर को बेवजह लंबा खींचे चले जा रहा है. मूल विषय पर आखिर क्यों नहीं आ रहे हैं. क्यों नहीं बता रहे हैं कि आखिर सीएम हाउस लेकर 9 मंत्रियों के निवास तक किस-किस का कितना बिल बकाया है. आखिर संवेदनशील और आम उपभोकक्ता को जागरूक करने वालें मान्यनीय मंत्रियों ने बिल क्यों नहीं जमा करावाने में रुचि क्यों नहीं दिखाया है. अब इसमें मंत्रियों का ये भी तर्क हो सकता उन्हें भला इसकी जानकारी कहां से होगी क्योंकि ये जिम्मेदारी तो लोक निर्माण विभाग की है. जिनकी ओर से आंबटित बंगले में मान्यनीयगण रहते हैं. लाजिमी है मंत्रियों का तर्क जायज है.
अब जरा भी लीजिए कि मंत्रियों के निवास पर कितने का बिल बकाया है-
गृहमंत्री रामसेवक पैकरा -1,72,038,
लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत-1,57,406,
खाद्य मंत्री पुन्नूलाल मोहले-81,083,
उद्योग मंत्री अमर अग्रवाल-76,828,
वन मंत्री महेश गागड़ा-72,592,
राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय-71,293 ,
महिला एवं बाल विकास मंत्री रमशीला साहू-70,024,
पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर -2,15,776 और 1,81,655 ,
स्कूल शिक्षा मंत्री केदार कश्यप- 1,56,609 और 1,71,702
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह – 5,74,619
इसके साथ ही रायपुर नगर निगम आयुक्त सहित कई आईएएस और आईपीएस के निवास का भी लाखों में बिल बकाया है. हमारे पास जो सूची शंकर और सिविल लाईन इलाके बड़े बकायादारों की उसमें कुछ बड़े अधिकारी और उद्योगपतियों की भी है. इसमें कुल 59 लोगों के नाम है. सभी का कुल मिलाकर बकाया बकाया बिल 1 करोड़ से अधिक है. संभागीय विधुत अधिकारी बिम्बिसार का कहना है कि सरकारी आवासों का बिजली बिल जमा करने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग की है. उन्हें कई बार इस संबंध में नोटिस भेजे गए हैं. लेकिन हम इसलिए कहीं बिजली कनेक्शन नहीं काट सकते क्योंकि वे जनप्रतिनिधि है.