करण मिश्रा, ग्वालियर। पंचायत अधिनियम में किए गए संशोधन के मामले में शनिवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता विवेक तंखा द्वारा पैरवी की गई। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता और सरकार की दलीलों को सुनने के बाद नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।
दरअसल मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ग्वालियर बेंच में भिंड से जिला पंचायत अध्यक्ष रामनारायण हिंडोलिया द्वारा दायर अल्ट्रा वायरस पर चीफ जस्टिस मध्यप्रदेश की बेंच में आज सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान सरकार ने अध्यादेश में किए परिवर्तन पर हाईकोर्ट में जवाब दाखिल करने न्यायलय से वक्त मांगा है। याचिकाकर्ता की ओर से राज्यसभा सांसद और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर अधिवक्ता विवेक तंखा ने चीफ जस्टिस के सामने दलील दी। उन्होंने दलील रखी कि सरकार एक और जबाब दाखिल करने वक्त मांग रही है तो, वहीं दूसरी ओर चुनाव कराने की मंशा तय कर चुकी है। जबकि हकीकत यह है कि सरकार के द्वारा अध्यादेश में किया गया परिवर्तन संविधान के खिलाफ है। यह संशोधन संविधान की धारा 243 से कवर नहीं है, इसलिए 21 नवंबर को मध्यप्रदेश पंचायत राज और ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश पारित करते हुए पंचायत एक्ट में सेक्शन 9 ए को जोड़ा जाना संविधान के विपरीत है।
अधिवक्ता तंखा ने पंचायत चुनाव से जुड़ी हुई सभी याचिकाओं को क्लब करते हुए जबलपुर मुख्य पीठ में ट्रांसफर करने की भी की न्यायलय से अपील की है। लिहाजा हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील को सुनने के बाद सरकार और याचिकाकर्ता को जवाब देने नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।