वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर. हाईकोर्ट ने बिलासपुर की महिला उप पुलिस अधीक्षक (डीएसपी) एसएस टेकाम के खिलाफ पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी वसूली आदेश को निरस्त करते हुए कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि बिना उचित कारण बताए और संवैधानिक अधिकारों का पालन किए बगैर वसूली आदेश जारी करना नियमों के विपरीत है। डीएसपी के वेतन से की गई कटौती पर भी आपत्ति जताते हुए कोर्ट ने पूरे मामले को मनमाना व्यवहार बताया और काटी गई पूरी राशि लौटाने का निर्देश दिया है।
दरअसल याचिकाकर्ता डीएसपी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर बताया कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर उनकी पदस्थापना के दौरान एक वसूली आदेश जारी कर वेतन से कटौती कर ली गई, जबकि किसी भी स्तर पर उन्हें न तो नोटिस मिला, न ही अपनी बात रखने का अवसर मिला। हाईकोर्ट अधिवक्ता अभिषेक पांडेय और वरुण शर्मा ने कोर्ट को बताया कि आदेश पूरी तरह अवैध है और यह तय प्रक्रिया का पालन किए बिना जारी किया गया है। वसूली आदेश में डीएसपी पर एक वर्ष पूर्व हुए वाहन किराया भुगतान को लेकर सीधी जिम्मेदारी लगा दी गई थी, जिसे याचिकाकर्ता ने पूरी तरह गलत बताया।

हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद पाया कि वसूली आदेश नियमों के अनुरूप नहीं है और बिना सुनवाई के लिया गया निर्णय संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के खिलाफ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक अधिकारी कानून से ऊपर नहीं हैं और किसी भी अधिकारी पर बिना जांच–सुनवाई के सीधे आर्थिक दंड नहीं लगाया जा सकता। अदालत ने पुलिस मुख्यालय के आदेश को रद्द कर वेतन से काटी गई पूरी राशि लौटाने का निर्देश दिया है। साथ ही शासन को चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की मनमानी कार्रवाई से बचें।
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