हिंदू पंचांग के अनुसार अगहन माह, जिसे मार्गशीर्ष भी कहा जाता है, इस बार 15 नवंबर, शनिवार से आरंभ होकर 14 दिसंबर तक चलेगा. यह महीना न केवल अन्न और समृद्धि का प्रतीक है, बल्कि आस्था, परंपरा और देवी लक्ष्मी के पूजन का शुभ काल भी माना जाता है.

अगहन के गुरुवारों को विशेष रूप से आंगन गुरुवार कहा जाता है. इस दिन महिलाएं सुबह-सुबह घर के आंगन को गोबर से लीपकर सजाती हैं, सुंदर अल्पनाएं बनाती हैं और धान, हल्दी, कुंकुम तथा दीप से लक्ष्मीजी का स्वागत करती हैं. माना जाता है कि ऐसा करने से अन्न-धान्य की कभी कमी नहीं होती और वर्षभर घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है.
लोकमान्यता के अनुसार जब धरती पर नई फसलें तैयार होती हैं, तब मनुष्य देवी लक्ष्मी का आभार व्यक्त करता है. यही कारण है कि अगहन को अन्नलक्ष्मी का महीना कहा गया है. पुरानी कहावत भी है. अगहन में जो अन्न सहेजे, वही वर्षभर सुख सहेजे. यह महीना किसान जीवन की मेहनत, आभार और श्रद्धा का प्रतीक बन जाता है.
धार्मिक दृष्टि से यह काल भगवान श्रीकृष्ण की उपासना के लिए भी शुभ माना गया है. गीता में स्वयं श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम्, अर्थात महीनों में मैं मार्गशीर्ष (अगहन) हूं. इसलिए यह महीना लक्ष्मी और श्रीकृष्ण दोनों की कृपा प्राप्त करने का श्रेष्ठ अवसर है.
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