जितेन्द्र सिन्हा, गरियाबंद. छत्तीसगढ़ की संरक्षित जनजाति के आधा दर्जन से ज्यादा लोगों के खिलाफ वन विभाग ने कार्रवाई करते हुए इन सभी लोगों को जेल भिजवा दिया है. वन विभाग की मानें तो ये सभी लोग लम्बे समय से तीर धनुष की मदद से जंगली सुअरों का शिकार करते आ रहे थे. वही पकड़े गये संरक्षित जनजाति के लोगों का कहना था कि उन्होंने अपने पेट की भूख मिटाने के लिए पहली बार इन जंगली सुअरों का शिकार किया है.

बताया जा रहा है कि वन परिक्षेत्र अधिकारी अली मुखबिर से सूचना मिली थी कि कुछ लोग जंगली जानवरों का शिकार करने तीन धुनष लेकर जंगल में घूम रहे है. जिसके बाद अली ने एक टीम बनाकर बताये गये स्थान पर धावा बोल दिया. इस स्थान पर वन विभाग को आठ लोग 2 दो मृत सुअर के साथ मिले. जब वन विभाग की टीम ने इन लोगों से पूछताछ की तो शिकारियों ने बताया कि उन्होंने खाने के लिए सुअर का शिकार किया था.

इसके बाद वन विभाग की टीम ने इन सभी शिकारियों को अपने कब्जे में ले लिया साथ ही घटना स्थल से दो मृत सुअर सहित शिकार के लिए इस्तेमाल किये गये तीर धनुष को भी जप्त किया. वन विभाग की इन सभी शिकारियों के खिलाफ वन्यप्राणी संरक्षण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई के लिए पांडुका ​थाना पुलिस के हवाले कर दिया.

पांडुका ​थाना प्रभारी सत्येंद्र श्याम ने बताया कि इन सभी शिकारियों को राजिम न्यायालय में पेश किया गया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया है.

बता दे कि पकड़े गये सभी शिकारी धमतरी जिले के कोर गांव के रहने वाले है और ये लोग कमार जानजाति से आते है, जो कि छत्तीसगढ़ की संरक्षित जनजाति है. कमार जनजाति के जीविक का साधन खेती किसानी है, लेकिन जरूरत पड़ने ये लोग अपनी पेट की भूख मिटाने के लिए तीर धुनष की मदद छोटे मोटे जंगली जानवरों का शिकार भी करते है. लेकिन इस बार इनके खिलाफ की गई कार्रवाई से कमार जानजाति के लोगों में दहशत का माहौल है. वही इस घटना ने उन सरकारी योजनओं की भी पोल खोल दी है कि जिसमें प्रदेश के अंतिम छोर के अंतिम व्यक्ति तक योजना का लाभ पहुंचाने का दावा किया जाता है. क्योकि इन लोगो तक यदि सरकारी योजनाओं का लाभ मिलता तो ये लोग अपनी पेट की भूख मिटाने के लिए जंगली सुअर का शिकार क्यो करते.