चंडीगढ़। पंजाब कैडर में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में चयन और पदोन्नति की प्रक्रिया को लेकर विवाद अब कोर्ट तक पहुंच गया है। पंजाब सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स एसोसिएशन की याचिका पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए चयन समिति की सिफारिशों के आधार पर आगे की किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई अगले साल 22 जनवरी को होगी। यह आदेश जस्टिस अनुपिंद्र सिंह ग्रेवाल और जस्टिस दीपक मनचंदा की खंडपीठ ने दिया है। याचिकाकर्त्ताओं ने आरोप लगाया है कि आईएएस भर्ती नियम, 1954 के तहत चयन प्रक्रिया न तो स्पष्ट है और न ही पारदर्शी। नियम 8 (2) में प्रयुक्त शब्द विशेष परिस्थितियां और असाधारण योग्यता एवं उत्कृष्ट मैरिट ,अस्पष्ट हैं। जिसका लाभ उठाकर गैर-राज्य सिविल सेवाओं के अधिकारियों को आगे बढ़ा दिया गया। साथ ही, वर्ष 2024 की रिक्तियों को भरने के लिए 3 मार्च 2025 को ग्रुप-ए (क्लास-1) राजपत्रित अधिकारियों से आवेदन मांगे गए, लेकिन इस परिपत्र का व्यापक प्रचार नहीं किया गया।
बावजूद इसके, 19 जून 2025 को हुई स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में बड़ी संख्या में उम्मीदवारों को शॉर्टलिस्ट कर लिया गया, जबकि उपलब्ध रिक्तियां बहुत सीमित थीं। याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि नियम 9 (1) के अनुसार एक कैलेंडर वर्ष में आईएएस की कुल रिक्तियों में से केवल प्रतिशत पद ही चयन के माध्यम से भरें जा सकते है, लेकिन वर्ष 2024-25 में इससे अधिक नामों की सिफारिश की गई थीं। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि नियमों के तहत कुल पदोन्नति में 15 प्रतिशत तक चयन किया जा सकता है।

निजी शिकायत में बरी के खिलाफ पीड़ित को सेशन कोर्ट में अपील का अधिकार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि निजी आपराधिक शिकायत के मामलों में यदि आरोपी को बरी किया जाता है, तो पीड़ित उस आदेश के खिलाफ सीधे सैशन कोर्ट में अपील कर सकता है। इसके लिए अब हाईकोर्ट से विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
जस्टिस सुखविंद्र कौर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले सेलेस्टियम फाइनेंशियल बनाम ए. ज्ञानशेखरन का हवाला देते हुए कहा कि दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 372 के प्रोवाइजो के तहत पीड़ित को अपील का स्वतंत्र और पूर्ण अधिकार प्राप्त है। अदालत ने माना कि पीड़ित का अपील अधिकार दोषसिद्ध व्यक्ति के अपील अधिकार के समान है। हाईकोर्ट ने फाजिल्का के सेशन जज को निर्देश दिया कि शिकायतकर्ता की अपील को धारा-372 के तहत मानते हुए उस पर कानून के अनुसार निर्णय लिया जाएं।
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