नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को एकीकरण विधेयक को मंजूरी दे दी, जो दिल्ली के तीन नगर निगमों- उत्तर, दक्षिण और पूर्व के विलय का मार्ग प्रशस्त करता है. विधेयक को जल्द ही संसद में पेश किए जाने की संभावना है. सूत्रों का कहना है कि इस संशोधन के माध्यम से वर्तमान तीन नगर निगमों को एक एकीकृत नगर निगम में समाहित करने वाला यह कदम एक बार फिर ‘महापौर’ (मेयर) के कार्यालय को महत्वपूर्ण बना देगा, जैसा कि 2012 में दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के विभाजन से पहले हुआ करता था. मेयर के पद को एक ऐसा प्रोफाइल माना जाता है, जिसकी तुलना मुख्यमंत्री से भी की जाती है.

केंद्र सरकार ने दिल्ली नगर निकायों के विलय के लिए एकीकरण विधेयक को दी मंजूरी

तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार का फैसला गलत हुआ साबित

2007-12 से एकीकृत एमसीडी में सदन के नेता रहे पूर्व पार्षद सुभाष आर्या ने बताया कि तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार द्वारा एमसीडी को तीन भागों में बांटने का निर्णय गलत था, जो मेयर के कद को कम करने का प्रयास था. उन्होंने कहा कि एकीकरण और दिल्ली के लिए प्रस्तावित ‘वन मेयर’ के साथ कार्यालय अपनी खोई हुई महिमा को फिर से प्राप्त करेगा और उस पद को प्राप्त करने वाला व्यक्ति एक बार फिर राष्ट्रीय राजधानी के ‘प्रथम नागरिक’ का दर्जा प्राप्त करेगा. पहले, दिल्ली के मेयर शहर के प्रथम नागरिक के रूप में हवाई अड्डे पर विदेशी गणमान्य व्यक्तियों की अगवानी करते थे. तीन भागों में बंटने के बाद महापौर कार्यालय का महत्व खत्म हो गया. पुराने समय के लोगों ने कहा कि 3 हिस्सों में बंटने से पहले दिल्ली के मेयर को राष्ट्रीय राजधानी के मुख्यमंत्री के बराबर देखा जाता था.

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पहले दिल्ली का मेयर पद होता था शक्तिशाली

यूनिफाइड कॉर्पोरेशन के पूर्व सदस्य ने कहा कि जब एमसीडी का एकीकरण था, तब मेयर एक शक्तिशाली पद के रूप में माना जाता था, लेकिन तीन हिस्सों में बंटने के बाद इसने अपनी सारी गंभीरता और महत्व खो दिया है. 2009-10 में दिल्ली के मेयर रहे कंवर सेन ने बताया कि एमसीडी का विभाजन शीला दीक्षित सरकार द्वारा बिना किसी उचित तर्क के लिया गया राजनीतिक फैसला था. उन्होंने कहा कि दिल्ली का पहला नागरिक होने के नाते मेयर तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के अधिकार को चुनौती देते थे. मेयर के कार्यालय को आकार में छोटा करने के लिए एमसीडी को बिना कोई तार्किक कारण बताए तीन भागों में विभाजित किया गया था.

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मुख्यमंत्री के बराबर होता था मेयर का पद

कंवर सेन ने कहा कि महापौर का पद अधिकार के साथ शक्तिशाली था और रहेगा. अनुभव वाले वरिष्ठ अधिकारियों को नगरपालिका आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाएगा और खर्च भी कम होगा. पूर्व पार्षद सुभाष आर्या ने कहा कि एकीकरण के बाद मेयर के पास ज्यादा ताकत होगी. आर्या ने कहा कि अधिक जिम्मेदारियां जो पहले निगम से वापस ले ली गई थीं, एकीकरण के बाद एमसीडी को वापस दिए जाने की संभावना है. एकीकृत एमसीडी में 22 विभागों और एक नगरपालिका आयुक्त के साथ 12 प्रशासनिक क्षेत्रों में 272 वार्ड वितरित किए गए थे. विभाजन के बाद इसमें तीन आयुक्त, 66 विभाग प्रमुख और तीन महापौर हो गए. पूर्व महापौर कंवर सेन ने कहा कि तीन कार्यालयों को चलाने में होने वाले खर्च में कमी आएगी, जिससे करदाताओं का पैसा बचेगा.

एमसीडी चुनाव टालने पर आप ने लगाए केंद्र पर गंभीर आरोप

इससे पहले, सरकार ने इन तीनों निकायों का विलय करने का संकेत देते हुए नगर निकायों के चुनावों की घोषणा को टाल दिया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी चुनावों के स्थगित होने को देश के लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए कहा कि यह पहली बार है, जब केंद्र ने राज्य चुनाव आयोग को चुनाव स्थगित करने के लिए लिखा था. उन्होंने सरकार से यह भी पूछा कि वे इतने वर्षों में क्या कर रहे थे, यदि वे इन नगर निकायों को एक में विलय करना चाहते थे. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार ने एमसीडी चुनावों के कार्यक्रम की घोषणा से कुछ घंटे पहले ही चुनाव आयोग को पत्र लिखा था.