रायपुर- स्कूल शिक्षा सचिव गौरव द्विवेदी ने मध्यान्ह भोजना मेन्यू का कड़ाई से पालन करने के निर्देश कलेक्टरों को दिए हैं. उन्होंने कलेक्टरों को पत्र जारी कर कहा कि मध्यान्ह भोजन पर 27 जिलों में से 19 जिलों एवं पांच केंद्रीकृत किचन से 66 शालाओं से पके हुए भोजन सैंपल लेकर जांच कराया गया. जांच रिपोर्ट में 56 शालाओं के सैंपल में से केवल 18 शालाओं के सैंपल में निर्धारित प्रोटीन मात्रा के 85 प्रतिशत या उससे अधिक मात्रा में पाया गया है. केवल 3 शालाओं के द्वारा निर्धारित प्रोटीन के शत-प्रतिशत की पूर्ति होना पाया गया है. इस रिपोर्ट के आधार पर स्कूल शिक्षा सचिव ने सभी जिलों के कलेक्टरों को मध्यान्ह भोजन मेन्यू का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया.

ये है जांच रिपोर्ट-

  • किसी भी सैंपल में स्वास्थ्य के लिए कोई हानिकारक प्रदार्थ नहीं पाया गया.
  • 56 शालाओं के सैंपल में से 47 शालाओं के सैंपल में निर्धारित कैलोरी मात्रा के 85 प्रतिशत या उससे अधिक मात्रा का होना पाया गया है. केवल 2 शालाओं में कैलोरी की पूर्ति 85 प्रतिशत से भी कम रही है.
  • 56 शालाओं के सैंपल में से 18 शालाओं के सैंपल में निर्धारित प्रोटीन मात्रा के 85 प्रतिशत या उससे अधिक मात्रा में पाया गया है. केवल 3 शालाओं के द्वारा निर्धारित प्रोटीन के शत-प्रतिशत की पूर्ति होना पाया गया है.
  • इसी प्रकार 5 शहरों में एनजीओ के द्वारा संचालित केंद्रीयकृत किचन के 6 सैंपल में से 7 सैंपल में कैलोरी मूल्य की पूर्ति नहीं होना पाया गया.

जांच टीम ने अपनी सुझाव दिए हैं-

  • मैन्यू में सप्ताह में कम से कम 2 दिन अंडा, दूध या इसके समतुल्य न्यूट्रीशन मूल्य का खाद्य प्रदार्थ समाहित किया जाना चाहिए. यदि बच्चों अथवा पालकों के द्वारा अंडा की स्वाकारोक्ति न हो तो उसके स्थान पर दूध या अन्य समतुल्य न्यूट्रीशन मूल्य का खाद्य प्रदार्थ दिया जाना चाहिए. साथ ही प्रोटीन के मात्रा में वृद्धि के लिए उच्च कोटी के सोया उत्पाद बच्चों को दिया जाना चाहिए.
  • स्थानीय बच्चों की पसंद एवं कुकिंग कास्ट को ध्यान में रखते हुए उक्त खाद् प्रदार्थों का मेन्यू में शामिल करते हुए मेन्यू का कड़ाई से पालन किया जाना चाहिए.
  • स्थानीय स्तर पर उपलब्ध मौसमी फल का भी वितरण मध्यान्ह भोजन योजना में किया जाना है
  • चावल को बिना माढ़ निकाले पकाये जाने के निर्देश दिए जाने चाहिए, जिससे चावल के कैलोरी में कमी न हो.