रायपुर। कोरोना की वजह से किये गए लॉक डाउन की मार न सिर्फ गरीब-बेसहारा और असहाय लोगों पर पड़ी है बल्कि इसका असर व्यवसाय पर भी पड़ा है. कई सेक्टर ऐसे हैं जिनकी कमर लॉक डाउन की वजह से टूट गई है. ऐसा ही एक सेक्टर रेस्टोरेंट-कैफे भी है. होटल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ने सरकार से राहत की मांग की है.
छत्तीसगढ़ रेस्टोरेंट एंड कैफे एसोसिएशन की बैठक हुई जिसमें सरकार के सामने गुहार लगाते हुए चार बिंदुओं पर अपनी मांग सामने रखी है. एसोसिएशन के महासचिव और मंजु-ममता होटल के संचालक मिक्की दत्ता का बताया कि 17 दिन का लॉक डाउन होने के बाद आज छत्तीसगढ़ रेस्टोरेंट एंड कैफे एसोसिएशन की एक अकस्मात मीटिंग बुलाई गई थी. महीना पूरा होने के बाद सभी को यही चिंता है कि मकान मालिक को किराया कैसे दें, कर्मचारी की पगार कहां से निकाले, बैंक का ईएमआई कहां से पटाए, पीएफ ईएसआई कैसे अदा करें, बिजली का बिल कैसे भरें.
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से वैसे ही इंडस्ट्री अपने अस्तित्व के लिए जूझ रही है, सबसे पहले आई नोट बंदी, उस से उभरे नहीं थे कि आ जीएसटी आ गई, 9 महीने भी पूरे नहीं हुए थे कि इसमें से आईटीआर की छूट वापस ले ली गई, फिर आए ऑनलाइन फूड डिलीवरी जोमैटो स्विगी आ गई, ये सभी विदेशी कंपनियां हैं, जिन्होंने डीप डिस्काउंटिंग के साथ ही रेस्टोरेंट का खाना रेस्टोरेंट से कम रेट में उपभोक्ताओं के घर पहुंचाने का काम शुरु कर दिया. अभी इससे उबर भी भी नहीं थे कि कोरोना वायरस की महामारी आ गई. दत्ता का कहना है कि बिना सरकार की मदद के अब यह इंडस्ट्री सरवाइव नहीं कर सकती.
मिक्की दत्ता ने कहा कि अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में सबसे ज्यादा रोजगार देने वाली यह इंडस्ट्री अब बिना सरकार की मदद के अपने अंतिम कगार पर आ गई है. अकेले रायपुर में ही यह इंडस्ट्री 40 हजार लोगों को रोजगार प्रदान करती है. इनडायरेक्ट रोजगार जैसे जोमैटो, स्वीगी के डिलीवरी ब्वॉय, सप्लायर, मेंटेनेंस कर्मचारी जो की बाहरी कंपनी को आउटसोर्स किया जाता है, उनको भी जोड़ दिया जाए तो करीब 50 हजार लोगों को रोजगार प्रदान करती है.
एसोसिएशन ने सरकार के सामने रखी ये मांगें
- 90 प्रतिशत रेस्टोरेंट किराए की जगह पर हैं. ऐसे में यदि बंद के पीरियड का किराया माफ न किया गया तो मालिकों का कहना है की होटल बंद करने के सिवाय उनके पास कोई विकल्प नहीं है.
- स्टाफ को इतनी तन्ख्वाह तो हम दे देंगे की उनके घर का चूल्हा जलता रहे लेकिन बाकी पीएफ या और कोई सरकारी संस्था से मदद की अपेक्षा है.
- वर्किंग कैपिटल लोन दिया जाय जिसका ब्याज एवम ईएमआई 1 वर्ष बाद चालू हो.
- ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से डीप डिस्काउंट बंद हो और कमीशन पर सरकार एक सीमा तैयार करे.