अनिल सक्सेना, रायसेन। आज महाशिवरात्रि को लेकर सुबह से ही मंदिरों में भक्तों का तांता लगा हुआ है। इसी बीच मध्य प्रदेश में रायसेन जिले से एक अच्छी खबर सामने आई है। ऐतिहासिक किले पर स्थित प्राचीन सोमेश्वर धाम मंदिर के ताले आज महाशिवरात्रि के दिन 12 घंटे के लिए खोले गए है। जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग की मौजूदगी में तहसीलदार हर्ष विक्रम सिंह ने मंदिर के ताले खोले। आज दिन भर महाशिवरात्रि पर्व पर हजारों भक्तों का रायसेन किले पर मेला लगेगा।
महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर आज रायसेन जिले के ऐतिहासिक किले पर स्थित भगवान सोमेश्वर धाम मंदिर के ताले पुरातत्व विभाग और जिला प्रशासन के अधिकारियों की देखरेख में सुबह 6 बजे खोले गए। मंदिर के ताले खुलने के साथ पूजा अर्चना की शुरुआत हुई और बम बम भोले के जयकारों से पूरा किला गूंज उठा, जो शाम 6 बजे तक चलेगा।
बतादें कि, पुरातत्व विभाग के अधीन होने के कारण भगवान भोलेनाथ 364 दिन इस किले के मंदिर में कैद रहते हैं। तो वहीं महाशिवरात्रि के दिन महज 12 घंटे के लिए भगवान भोलेनाथ को कैद से आजादी मिलती है। पुरातत्व विभाग के अधीन आने के बाद जब इस रायसेन के ऐतिहासिक किले के मंदिर में ताले लगा दिए गए थे, तब सन 1972 में एक जन आंदोलन चला। जिसमें किले के ताले खोलने के लिए युवाओं सहित आम जनता ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
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इसको देखते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश चंद्र शेट्टी ने 1974 में रायसेन के ऐतिहासिक किले पर पहुंचकर महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को महज 12 घंटे के लिए आजादी और पूजा अर्चना की, जो अनुमति प्रदान की थी। तब से लेकर आज तक महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को रायसेन के सोमेश्वर धाम मंदिर में आजादी मिलती है। इस ऐतिहासिक किले पर महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है। जिसमें हजारों की संख्या में भक्त रायसेन के ऐतिहासिक किले पर पहुंचते हैं।
अगर व्यवस्थाओं की बात करे तो जिला प्रशासन की किसी भी अनहोनी से निपटने के लिए चाक चौवन्द व्यवस्थाएं हैं। अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जब रायसेन में शिव महापुराण कथा करने आए थे तब उन्होंने रायसेन के ऐतिहासिक किले पर स्थित मंदिर के ताले खोलने की मांग की थी। इसके बाद में पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी गंगोत्री का जल लेकर रायसेन के ऐतिहासिक किले पर पहुंची थी। लेकिन जिला प्रशासन ने पुरातत्व विभाग के अधीन होने के मंदिर के ताले खोलकर जल चढ़ाने की अनुमति नहीं दी थी। तब से लेकर एक बार फिर रायसेन के ऐतिहासिक के स्थिति इस मंदिर के ताले खोलने की मांग चल रही है।
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