संतोष तिवारी, सुकमा. पुलिस द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान से नक्सली बौखलाए हुए है. इनकी यह बौखलाहट गांवों में फेक रहे पर्चे से साफ देखा जा सकता है. दरअसलनक्सलियों की कोंटा एरिया कमेटी ने चेतावनी पत्र के नाम पर एक पर्चा जारी किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि पुलिस जबरन निर्दोष ग्रामीणों को प्रलोभन देकर समर्पण करवा रही है. नक्सलियों ने ये भी आरोप लगाया है कि कुछ सरपंच व सचिव एक ग्रामीण के पीछे 25 हजार रुपए की लालच में ऐसा कर रहे है.

जानकारी के मुताबिक नक्सलियों ने भाजपा की रमन सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि सुकमा जिले में पिछले तीन-चार साल से नक्सलियों के कार्यकर्ताओं और युद्ध को लक्ष्य के साथ दबाने की कोशिश की जा रही है. नक्सलियों ने ऑपरेशन ग्रीन हंट समाधान योजना मिशन 2018-22 ऑपरेशन प्रहार2 जैसे महाभियान के नाम से दमन चलाने एवं गांवों पर हमला धनमाल लुटना बेकसुरो से मारपीट करने एंव फ़र्ज़ी मुठभेड़ों में हत्या करने का भी आरोप लगाया गया है. नक्सलियों द्वारा पर्चे में लिखा गया है कि पैसों के लालच में स्थानीय भाजपा सीपीआई कांग्रेस के नेताओं पर लूट खसोट को समर्थन देते हुए अन्याय के पक्ष में रहने का आरोप लगाया गया है. जबकि पत्र में एक वर्ष में निर्दोष ग्रामीणों को बहाना बनाकर कैम्पों थाने में बुलाकर आत्मसमर्पण करवाने का ज़िक्र किया गया है.

नक्सलियों ने पर्चे कुछ नामों का ज़िक्र किया है जिनमें चिंतागुफा निवासी पोडियम पंडा, गगनपल्ली पंचायत सचिव अप्पु, मरईगुड़ा पंचायत बिरेल निवासी बजारी, रेगड़गट्टा पंचायत सरपंच मोसलमड़गु निवासी सोड़ी कोसा, डब्बाकोंटा पंचायत कोलाईगुड़ा निवासी माड़वी गंगा जैसे लोगों पर पैसों के लालच में सरेंडर करवाने का आरोप लगाया गया है. नक्सलियों ने ये भी आरोप लगाया है कि जनता के पैसों से इंदिरा आवास बना कोंटा में किराया पर दिया जा रहा है. नक्सलियों ने जग्गावारम तेंदुपत्ता समिति के प्रबंधक कोलाईगुड़ा निवासी कवासी मनोज पर आरोप लगाया है कि विकलांगों व वृद्धा पेंशन का पैसा हर वर्ष बैंक से निकाल कर ख़ुद ही ख़र्च करता है.

वहीं तेंदुपत्ता का बोनस प्रति समिति 6 लाख रूपए निकलने पर तीन लाख बांटकर बाकी पैसों का घोटाला करने का आरोप लगाया है. नक्सलियों ने पर्चे के अंत में सभी नामजद पंचायत सचिवों व सरपंचों को अंतिम चेतावनी दी है कि वे सुधर जाएं. वहीं पर्चे में मौत की सज़ा देने की भी बात लिखी गई है. पूरे मामले पर पुलिस का कहना है कि जो नक्सलियों की भाषा नहीं बोलेगा उन सभी को ख़तरा है.