रायपुर। दंतेवाड़ा में जावंगा एजुकेशन सिटी के लिए जिन परिवारों की भूमि अधिग्रहित की गई थी, उन परिवारों की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सुध ले ली है. राज्यपाल ने संबंधित आदिवासी परिवार के सदस्यों को तत्काल न्याय दिलाने के लिए पहल करते हुए मुख्य सचिव को निर्देश भी जारी कर दिए हैं. राज्यपाल सचिवालय की ओर से मुख्य सचिव को जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि ज़मीन दान करने वाले परिवार के सदस्यों को न तो आज तक नौकरी मिली है, न ही बच्चों को मुफ्त शिक्षा, न ही अन्य भूमि पर पट्टा, जबकि इसे देने का आश्वासन दिया गया था.

राज्यपाल की ओर से कहा गया कि इस मामले में तत्काल प्रभावित परिवार को राहत एवं पुनर्वास सुनिश्चित कराई जाए व इसकी जानकारी राजभवन को दी जाए.

ये भी पढ़ें- http://पूर्व आईएएस ओपी चौधरी पर आदिवासियों ने छल और षड़यंत्र करने का लगाया आरोप, राज्यपाल से की भाजपा नेता की शिकायत

आपको बता दे कि कुछ दिन ही पूर्व राज्यपाल से दंतेवाड़ा जिले के गीदम ब्लॉक स्थित ग्राम बड़े पनेडा के ग्रामीणों ने राजभवन में मुलाकात की और उन्हें शिकायती ज्ञापन सौंपा. जिसमें उन्होंने कहा कि वे उस वन भूमि में लंबे समय से खेती कर रहे थे. तत्कालीन कलेक्टर रीना कंगाले द्वारा यहां 17 आदिवासियों को वन भूमि पट्टा दिया गया था. लेकिन साल 2010-11 में वहां कलेक्टर रहते हुए ओपी चौधरी ने जवांगा एजुकेशन सिटी निर्माण के लिए भूमि खाली करने के लिए कहा, उन्होंने कहा कि एजुकेशन सिटी बनने पर मैं नौकरी दूंगा, तुम लोगों के बच्चों को मुफ्त में पढ़ाया जायेगा और इस भूमि के बदले दूसरी भूमि के पट्टे दिये जाने का वादा किया था. लेकिन हम लोगों ने भूमि देने से इन्कार किया तो कलेक्टर ओपी चौधरी द्वारा थानेदार को बोलकर हम लोगों को गीदम थाने में पूरे दिन भर बैठाकर नक्सली सहयोगी बताकर खूब डराया गया. साथ ही कहा गया कि एजकेशन सीटी बन रही है बनने दो विरोध मत करो नहीं तो जेल भेज देंगे. इससे हम डर की वजह से चुप हो गए.

ज्ञापन में आगे उन्होंने लिखा है, ” हम आदिवासियों को दिये वन भूमि के पट्टों की भूमि का उपयोग किसी अन्य कार्य में वैधानिक रूप से से कोई भी नहीं ले सकता क्योंकि दिये गये पट्टों में स्पष्ट उल्लेख है कि इसे अन्तरण नहीं किया जा सकता. इसलिये झूठी कहानी रची गई तथा एक षड्यंत्र रचा गया, जिससे वनभूमि के दिये पट्टे निरस्त कर भूमि एजुकेशन सीटी के लिये उपयोग की जा सके क्योंकि दूसरी
कोई भूमि उपलब नहीं थी.”

अपने ज्ञापन में उन्होंने आगे लिखा है कि षड़यंत्र के तहत ग्राम बड़े पनेडा के पटवारी चन्द्रसेन नागवंशी को शासन की तरफ से प्रार्थी बनाकर उससे आवेदन बनवाया गया. जिसमें ग्राम बड़े पनेडा की वर्तमान भूमि खसरा नं 105,109,110,141,142 क्रमशः रकबा 1.87 हेक्टेयर, 1.14 हे., 7.8 हे, 3.05 हे., 4.95 हे  ग्राम बड़े पनेड़ा के लिये संहिता के प्रावधानुसार संधारि निस्तार पत्रके मद (क) इमारती लकडी अथवा इंधन हेतु सुरक्षित, मद (ख) चारे और घास के लिए सुरक्षित और संहिता की धारा धारा 237 के तहत संरक्षित रही है तथा इसी उक्त खसरे की भूमि में एक दर्जन से ज्यादा ग्रामीणों के नाम दिखाकर उनका वन अधिकार पट्टा निरस्त किये जाने का आवेदन दंतेवाड़ा एसडीएम के पास प्रस्तुत किया. जिसमें जिन्हें वनअधिकार पट्टा दिया गया था उन्हें ही अनावेदक बनाया गया.