अमित शर्मा, श्योपुर। राष्ट्रीय कूनो-पालपुर अभयारण्य के विस्तार के लिए अधिग्रहण की गई कूनो पालपुर अभ्यारण में स्थित पालपुर रियासत की भूमि का मामला विजयपुर न्यायालय में पहुंच गया है। इस परिवार के सदस्य गोपाल देव के वकील एम एम पाराशर द्वारा 151 के तहत पेश की गई शिकायत पर न्यायालय ने श्योपुर कलेक्टर शिवम वर्मा को जवाब पेश करने निर्देशित किया है।

बताया गया है कि, पालपुर राज परिवार के सदस्य गोपाल देव ने न्यायालय में अपील की है कि, शासन ने उनकी 220 बीघा के करीब सिंचित जमीन के बदले उन्हें महज 27 बीघा असिंचित जमीन दी है। ऊबड खाबड़ में खेती नहीं हो पाती। उनके वकील ने यह भी दलील पेश की है कि, उनकी जमीन के साथ उनके पूर्वजों के किले और कुआ- बावड़ी आदि का अधिग्रहण अभी तक नहीं किया गया है। उसका मुआवजा भी नहीं दिया गया है। किले में उनके देवी देवताओं का मंदिर व स्थान है, जिसमें पूजा अर्चना करने के लिए जाने से भी वन विभाग के कर्मचारियों के द्वारा उन्हें रोका टोका जाता है।

इसे लेकर उन्होंने अपील की है कि, उन्हें सिंचित जमीन के बदले दूसरी सिंचित जमीन दी जाए। इसके साथ ही किले व कुआ, बावड़ी आदि का मुआवजा भी उन्हें दिया जाए। उन्होंने इस पूरे मामले में प्रशासन के आला अधिकारियों पर नियमों को दरकिनारे कर जमीन हथियाने का आरोप लगाया है। ग्वालियर हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सोमवार को इस मामले की सुनवाई विजयपुर न्यायालय में की गई है। न्यायालय ने इस मामले में श्योपुर कलेक्टर को जवाब तलब किया है। कलेक्टर के वकील ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा है।

इस पर न्यायालय ने आगामी 29 सितंबर तक का समय जवाब पेश करने के लिए दिया है। फरियादी परिवार के सदस्य गोपाल का कहना है कि, अधिकारियों ने नियम और कानून का उल्लंघन करके उनकी सिंचित जमीन को असिंचित बता कर उनके साथ गलत किया है। कूनो में जमीन उन्होंने दी लेकिन, चीता परियोजना के शुभारंभ पर उन्हें बुलाया तक नहीं गया। उन्होंने बब्बर शेर को कूनो में लाने के नाम पर अपनी जमीन दी थी लेकिन, यहां चीता लाया गया। बेशकीमती किले और कुआ बावड़ी आदि संपत्ति का मुआवजा तक उन्हें नहीं दिया गया है। इसे लेकर उन्होंने न्यायालय से गुहार लगाई है।

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