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Exam for Aghori: आपने कई साधु देखे होंगे, लेकिन उनमें से अघोरी साधु को हिंदू धर्म में बेहद रहस्यमयी और कठोर तपस्वी माना जाता है. अघोरी बनने के लिए व्यक्ति को अत्यंत कठिन और कठोर साधना से गुजरना पड़ता है. यह प्रक्रिया केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक भी होती है. ये परीक्षाएँ केवल अघोरी बनने के मार्ग की शुरुआत होती हैं.
अघोरी बनने के लिए तीन प्रकार की दीक्षाओं— हरित दीक्षा, शिरिन दीक्षा और रंभत दीक्षा से गुजरना पड़ता है.
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हरित दीक्षा (Exam for Aghori)
इस दीक्षा में अघोरी अपने शिष्य को गुरु मंत्र प्रदान करता है. यह मंत्र शिष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है. शिष्य को इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करना होता है, जिससे उसके मन में एकाग्रता उत्पन्न होती है और वह आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करता है.
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शिरिन दीक्षा (Exam for Aghori)
इस दीक्षा में शिष्य को विभिन्न प्रकार की कठोर साधनाओं का अभ्यास कराया जाता है. शिष्य को श्मशान में रहकर तपस्या करनी होती है. इस दौरान, उसे साँप, बिच्छू जैसे भयावह जीवों से डर को समाप्त करना होता है, साथ ही ठंड, गर्मी और बारिश जैसी कठिन परिस्थितियों को सहन करने का अभ्यास भी कराया जाता है.
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रंभत दीक्षा (Exam for Aghori)
इस दीक्षा में शिष्य को अपने जीवन और मृत्यु का संपूर्ण अधिकार अपने गुरु को सौंपना होता है. गुरु जो भी आदेश देते हैं, शिष्य को उसे बिना किसी संदेह या प्रश्न के पालन करना होता है. ऐसा कहा जाता है कि इस दीक्षा के माध्यम से गुरु शिष्य के अहंकार को पूर्ण रूप से समाप्त कर देते हैं. इस प्रक्रिया के दौरान, यदि गुरु शिष्य को अपने गले पर चाकू रखने के लिए कहते हैं, तो उसे बिना किसी प्रश्न के ऐसा करना होता है. इसलिए, इस दीक्षा को अत्यंत कठिन और दुष्कर माना जाता है.
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