अभिषेक मिश्रा, धमतरी. छत्तीसगढ़ में एक गांव ऐसा है, जहां जो सरपंच बनता है वह अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता. हम बात कर रहे हैं धमतरी जिले के भटगांव ग्राम पंचायत का, यहां सरपंच पद पर बैठने वालों पर या तो जान का खतरा पैदा हो जाता है या फिर वो कार्यकाल पूरा नहीं कर पाते. बीते 12 साल में यहां 5 सरपंच बदल चुके हैं. इनमें से 4 की अचानक मौत हुई, जबकि एक को धारा 40 के तहत हटना पड़ा. गांव वालों में अब इसे लेकर कई तरह की बातें और आशंकाए फैल रही है.
भटगांव धमतरी जिला मुख्यालय से महज 7 किलोमीटर दूर है. बाकी के गांवों की तरह यहां भी पंचायत बॉडी है. हर पांच साल में चुनाव होते हैं. लोग अपना पंच और सरपंच चुनते हैं. सरकार की योजनाओं को पंचायत लागू करता है, ज्यादातर किसान इस गांव में रहते हैं, लेकिन एक बात डराने और चिंता में डालने वाली है. वो यह है कि भटगांव में जो सरपंच बनता है वो अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता. या तो उसकी जान चली जाती है या पद छोड़ना पड़ जाता है. पिछले डेढ़ दशक के रिकॉर्ड देखें तो हर बार ऐसा ही नजर आता है.
पिछले पंचायत चुनाव 2020 – 25 के लिए जनता ने अजमेर सिंह को सरपंच चुना, लेकिन सिर्फ 2 साल बाद उनकी बीमारी से मौत हो गई. उपचुनाव हुए, जिसमे जनता के वोटों से जीत कर आए बोधन सिंह ध्रुव और उनकी भी करीब महीनेभर पहले ही मौत हो गई. अभी चुनावों में कुछ महीने बाकी है, उनकी मौत का कारण अचानक बीमार पड़ जाना बताया जा रहा है.
सरपंच पद की दावेदारी करने से हिचक रहे लोग
इसके पहले 2015-20 के लिए हुए चुनावों में मोहित देवांगन सरपंच बने. उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया और अभी भी सक्रिय हैं, लेकिन उसके पहले 2010-15 के चुनाव में झनक राम देवदास सरपंच बने. उनकी भी सिर्फ 30 साल की उम्र में अचानक बीमारी से मौत हो गई. फिर उनकी जगह उसी कार्यकाल के लिए गिरवर देवदास को सरपंच बनाया गया, लेकिन कार्यकाल खत्म होने से पहले ही वो बुरी तरह बीमार पड़ गए और कार्यकाल खत्म होने के कुछ दिन बाद निधन हो गया. इससे पहले चेतराम सरपंच थे, लेकिन उन्हें किसी भ्रष्टाचार से उठे विवाद के बाद धारा 40 के तहत अपना पद छोड़ना पड़ा था. एक के बाद एक एक ही तरह से भटगांव के पदासीन सरपंच के साथ घटना घटना हैरानी और चिंता पैदा करता है. इस पर गांव में लोग कई तरहः की आशंकाए जताते हैं, लेकिन खुलकर उसे कहते नहीं है, पर इतना जरूर है कि अब आगामी पंचायत चुनाव में सरपंच पद के लिए दावेदारी करने में लोगों में हिचक जरूर दिखाई दे रही है.
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