New Income Tax Bill 2025: केंद्र सरकार की ओर न्यू इनकम टैक्स बिल 2025 को आज यानि सोमवार को संसद में पेश कर दिया गया है. निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में आयकर विधेयक का संशोधित संस्करण पेश किया, जिसमें बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली सेलेक्ट कमेटी की अधिकांश सिफारिशें शामिल हैं. बता दें कि, इससे पहले केंद्र सरकार ने लोकसभा में इनकम टैक्स बिल पर यूटर्न लेते हुए उसे वापस ले लिया था. फरवरी 2025 में लोकसभा में टेबल होने के बाद इसे सेलेक्ट कमिटी को भेज दिया गया था. सेलेक्ट कमिटी के सभी सुझावों को स्वीकार करने के बाद अब सरकार नया बिल लेकर आई है.
ये बिल 1961 के पुराने इनकम टैक्स एक्ट को बदलने के लिए था. अब 11 अगस्त को एक नया ड्राफ्ट पेश किया गया है, जिसमें सभी सुझाए गए बदलाव शामिल हैं ताकि सांसदों को एक साफ और अपडेटेड वर्जन मिल सके.
वित्त मंत्री सीतारमण ने संसद में बताया कि हमें कुछ सुझाव मिले हैं, जिन्हें शामिल करना जरूरी है ताकि कानून का सही मतलब सामने आए. इसमें ड्राफ्टिंग की गलतियां ठीक करना, वाक्यों को व्यवस्थित करना, और क्रॉस-रेफरेंसिंग जैसे बदलाव शामिल हैं. उन्होंने कहा कि पुराना बिल इसलिए वापस लिया गया ताकि कोई कन्फ्यूजन न हो, और नया ड्राफ्ट 1961 के एक्ट को बदलने की बुनियाद बनेगा.
सिलेक्ट कमिटी ने सुझाए थे ये बदलाव
- नए आयकर बिल पर संसदीय पैनल की रिपोर्ट 21 जुलाई को लोकसभा में पेश की गई. सेलेक्ट कमेटी ने सुझाव दिया कि डेफिनेशन्स को और टाइट करना चाहिए, कन्फ्यूजन्स हटाने चाहिए और इसे मौजूदा सिस्टम के साथ बेहतर अलाइन करना चाहिए.
- ढेर सारी डिस्कशन के बाद समिति ने 285 रेकमेंडेशन्स दीं, जो टैक्स सिस्टम को सिंपल करने और आयकर लॉ को क्लियर और आसान बनाने पर फोकस करती हैं.
- समिति ने अपनी रिपोर्ट में स्टेकहोल्डर्स के सुझावों के बेस पर कई इम्प्रूवमेंट्स बताए, जो बिल को और क्लियर और समझने में आसान बनाने के लिए जरूरी हैं.
- संसदीय पैनल ने अपनी 4,584 पेज की रिपोर्ट में टोटल 566 सुझाव/रेकमेंडेशन्स दिए हैं.
- समिति ने सुझाव दिया कि आयकर रिफंड से जुड़े एक रूल को हटाया जाए, जिसमें लेट ITR फाइल करने पर रिफंड न देने की बात थी. पुराने बिल में रिफंड के लिए ITR टाइम पर फाइल करना जरूरी था.
- समिति ने धारा 80एम (नए बिल के क्लॉज 148) में चेंज का सुझाव दिया, जो स्पेशल टैक्स रेट लेने वाली कंपनियों के लिए इंटर-कॉर्पोरेट डिविडेंड पर डिडक्शन से रिलेटेड है.
- समिति ने ये भी सुझाया कि टैक्सपेयर्स को जीरो टीडीएस सर्टिफिकेट लेने की परमिशन दी जाए.
- आयकर डिपार्टमेंट ने क्लियर किया कि टैक्स रेट्स में कोई चेंज की रेकमेंडेशन नहीं की गई, हालांकि कुछ न्यूज में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स रेट्स में बदलाव की बात थी.
- समिति ने सुझाव दिया कि माइक्रो और स्मॉल एंटरप्राइजेज की डेफिनेशन को MSME एक्ट के हिसाब से करना चाहिए.
- रिपोर्ट में अडवांस रूलिंग फीस, प्रोविडेंट फंड पर टीडीएस, लोअर टैक्स सर्टिफिकेट और पेनल्टी पावर्स पर क्लैरिटी के लिए बिल में चेंजेस की रेकमेंडेशन भी की गई है.
6 दशक पुराने आयकर अधिनियम की लेगा जगह
यह विधेयक 6 दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 की जगह लेगा. बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा के नेतृत्व वाली सेलेक्ट कमिटी ने इसमें समीक्षा करने के बाद कई संशोधन किए हैं. नए इनकम टैक्स बिल को लेकर सबसे बड़ा सवाल स्लैब को लेकर है.
आयकर विभाग ने यह स्पष्ट कर दिया था कि नए बिल में टैक्स स्लैब को लेकर कोई बदलाव का प्रस्ताव नहीं है. इनकम टैक्स विभाग के मुताबिक नए बिल का मकसद भाषा को सरल करना और अनावाश्यक प्रावधानों को हटाना है.
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