दिल्ली ब्लास्ट केस में एनआईए की टीम ने बुधवार की देर रात फरीदाबाद के गांव धौज में रह रहे एक टैक्सी ड्राइवर को दबोचा है। ड्राइवर के घर से आटा-चक्की और कुछ इलेक्ट्रिकल मशीन बरामद किया है। एजेंसियों को शक है कि, आटा चक्की का इस्तेमाल डॉक्टर मुजम्मिल बम बनाने में इस्तेमाल होने वाले केमिकल यूरिया को पीसने के लिए करता था। बता दें कि, मुजम्मिल धौज में एक कमरा किराए पर लिया हुआ था, जहां से 9 नवंबर को जम्मू-कश्मीर और फरीदाबाद की पुलिस ने 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट और अन्य विस्फोटक बरामद किया था।

ड्राइवर की मुजम्मिल से अस्पताल में पहचान हुई थी

सूत्रों के अनुसार, टैक्सी ड्राइवर ने NIA को बताया कि वह 20 साल से धौज स्थित गांव में अपनी बहन के यहां रहता है। वह सैनिक कॉलोनी स्थित एक स्कूल के लिए कैब चलाता है। करीब चार साल उसके छोटे बेटे पर गर्म दूध गिर गया था। इससे वह झुलस गया और उसे गंभीर हालत में अल फलाह मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां डॉ. मुजम्मिल ने उसके बेटे का इलाज किया था। दोनों की जान-पहचान हुई और दोनों में मुलाकात होने लगी।

पाकिस्तान से भेजे गए बम बनाने के 40 वीडियो

बता दें कि, दिल्ली ब्लास्ट केस में पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के कनेक्शन का खुलासा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान से जैश के हैंडलर हंजुल्ला ने दिल्ली धमाके के आरोपी डॉ. मुजम्मिल शकील गनई को बम बनाने के 40 वीडियो भेजे थे। दोनों को जम्मू के शोपियां का रहने वाले मौलवी इरफान अहमद ने मिलवाया था। इसके बाद व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल तैयार किया था और कई डॉक्टर्स को इससे जोड़ा गया। दिल्ली धमाका भी इसी मॉड्यूल का हिस्सा था। जांच में यह भी सामने आया है कि हंजुल्ला जैश हैंडलर का कोर्ड नेम हो सकता है। 18 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर के नौगाम में लगे जैश पोस्टरों में भी कमांडर हंजुल्ला भैया का नाम था। इसी से जांच एजेंसियों को शक हुआ।

डॉ. मुजम्मिल भर्ती तो डॉ. शाहीन ब्रेनवॉश करती थी

जांच एजेंसी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि डॉक्टरों के वाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल के हर सदस्य का काम बंटा हुआ था। अल फलाह से गिरफ्तार डॉ. मुजम्मिल, डॉ. शाहीन सईद और ब्लास्ट में मारा जा चुका आतंकी डॉ. उमर नबी इस मॉड्यूल की अहम कड़ी थे। मुजम्मिल आतंक के नेटवर्क में मुस्लिमों को भर्ती करता था। शाहीन आर्थिक मदद कर ब्रेनवॉश करती थी तो डॉ. उमर उनके इस्तेमाल की साजिश रचता था। मुजम्मिल यह काम अस्पताल आए मरीजों और कर्मचारियों के घर मदद के बहाने जाकर करता था।

उसका पहला शिकार धौज गांव में उमर को कमरा किराए पर देने वाली अफसाना का जीजा शोएब था। परिवार में किसी के बीमार पड़ने पर शोएब उसे ही फोन लगाता था। धौज से ही गिरफ्तार साबिर से भी मुजम्मिल ने दोस्ती बढ़ाई। इसकी दुकान से कश्मीरी छात्रों के लिए सिम खरीदीं। धौज का बाशिद डॉ. उमर की लाल ईको स्पोर्ट्स कार अपनी बहन के घर छिपा आया था। बाशिद की भी मुजम्मिल से मुलाकात अस्पताल में पिता के इलाज के दौरान हुई थी। डॉ. शाहीन ने उमर के कहने पर बाशिद की नौकरी लगवाई। तब से बाशिद मॉड्यूल का सदस्य था।

लेडी आतंकियों की टीम बनाना चाहती थी मैडम सर्जन

इस मॉड्यूल में मैडम सर्जन के नाम से पुकारी जाने वाली डॉ. शाहीन लेडी आतंकियों की टीम बनाना चाहती थी। उसने कुछ लड़कियों की लिस्ट बनाई थी। इसका जिक्र उसकी डायरी में है। इसके अलावा, किसको कितने पैसे की मदद करनी है, इसका फैसला भी डॉ. शाहीन और उमर नबी मिलकर ही करते थे। शाहीन लड़कियों की टीम बनाने में कामयाब नहीं हुई और उसने टीम बनाने की जिम्मेदारी डॉ. मुजम्मिल को सौंप दी।

राज्यपाल ने कहा- अमोनियम नाइट्रेट खरीदने और बेचने वालों का रिकॉर्ड रखें

दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने हाल ही में लाल किले में हुए आतंकी धमाकों के बाद पुलिस कमिश्नर और चीफ सेक्रेटरी को कई एहतियाती और बचाव के कदम उठाने का निर्देश दिया है। एक तय लिमिट से ज्यादा अमोनियम नाइट्रेट खरीदने और बेचने वाली कंपनियों का डिजिटल रिकॉर्ड रखें, जिसमें खरीदने वालों और बेचने वालों की फोटो के अलावा दूसरी जरूरी डिटेल्स भी हों।

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