पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद. सांसद की शिकायत के बाद पीएमजीएसवाय योजना के तहत बनी सड़कों की जांच करने नेशनल क्वालिटी कंट्रोल की टीम पहुंची है. टीम ने मोबाइल लेबोट्री लेकर 7 घंटांे तक सघन जांच किया. रिपोर्ट दिल्ली कार्यालय में सौंपेंगे. इससे पहले भी 5 सड़कों की शिकायत हुई पर नेशनल की टीम ने रुचि नहीं दिखाई. सड़क जर्जर हो चुके हैं. इसके बावजूद जिले के अफसरों ने ऑल इज वेल की बात कही.
सोमवार को सांसद चुन्नीलाल साहू की शिकायत पर नेशनल क्वालिटी कंट्रोल के दो अफसर राम प्रताप सिंह व जगदीश राय गर्ग सड़क की जांच करने देवभोग पहुंचे थे. विभाग में तैनात जिले का सारा अमला भी उनके साथ पूरे समय मौजूद रहे. सांसद ने कोदोभाठा से ख्वासपारा व जामगांव से मुरलीगुड़ा सड़क की जांच की. आरोप था कि दोनों सड़क निर्धारित नाम वाले मार्ग पर नहीं बनाए गए थे.
टीम ने आरंभिक जांच में सड़क गायब होने के आरोप को सिरे से खारिज कर दिया. अफसरों के मुताबिक सड़क निर्माण से पहले सर्वे में आसपास के इलाके का नाम दर्ज रहता है, लेकिन जब कार्य योजना तैयार होती है तो उस वक्त सटिक मार्ग का नाम व दूरी उल्लेख किया जाता है. विभाग के अफसरों ने दोनों सड़क की गुणवत्ता जांच करने जगह-जगह सड़क को खोद कर उपयोग में लाए गए सामग्री व थिकनेश की भी माप करते रहे. नेशनल क्वालिटी कंट्रोल के अफसरों ने पूरे मामले की अधिकृत रूप से कोई जानकारी नहीं दी है. वे रिपोर्ट दिल्ली कार्यालय में प्रस्तुत करने की बात कही.
विभाग के ईई आरबी सोनी ने कहा कि हमें भी कोई जानकारी नहीं दी गई पर जांच के बाद अफसर संतुष्ट नजर आए. जिस नाम की सड़क की मंजूरी केंद्र की योजना से हुई है वे सड़के सही जगह पाए गए.
जिसे सही माना वह सड़क काम पूरा होने से पहले हो गया जर्जर
सड़कों की गुणवत्ता शिकायत इससे पहले भी पीएमओ से की गई थी, जिनकी मिलिभगत के आरोप लगाए जाते रहे उसी राज्य गुणवत्ता की टीम से जांच कराकर खाना पूर्ति किया जाता रहा है. खामियों के बजाए जांच टीम की रिपोर्ट में ठेका कंपनी का गुणगान कर दिया जाता रहा है. भाजयुमो जिला अध्यक्ष माखन लाल कश्यप ने सोमवार को दिल्ली की टीम के सामने अपनी भड़ास निकालते दिखे.
टीम को कश्यप ने बताया कि 2019-20 में खोखमा से घुमरापदर सड़क ( 23.38 किमी) के लिए 16.50 करोड़ की मंजूरी मिली थी. निर्माण का ठेका रायपुर के फारुख वारसी नाम की कंपनी को दिया गया था. निर्माण कार्य मापदंडों को ताक में रखकर कराया जा रहा था. कार्य में विलंब भी हुआ. शिकायत की जांच राज्य गुणवत्ता नियंत्रक की टीम ने की. हर बार जांच में संतोषप्रद का रिपोर्ट संलग्न हो जाता था. 2020 तक काम पूरा होना था, आज भी यह काम अधूरा है.
डब्ल्यूबीएम में चुरा युक्त अमानक गिट्टी का उपयोग करने के आलावा डामरीकरण व डब्ल्यूबीएम की अवधि में भारी अंतर होने के कारण अब सड़कों में डामर के परत उखड़ने लगा है. काम को सरकारी पोर्टल में पूरा दर्शाया गया है, जबकि आज भी काम अधूरा है. घटिया काम के कारण ठेका कम्पनी एक तरफ काम को पूर्ण करने में लगा है, जबकि दूसरे छोर से मरम्मत करते आ रहा है. माखन कश्यप ने इसकी शिकायत सालभर पहले पीएमओ से भी की पर उसकी जांच नहीं हुई. सोमवार को नेशनल की टीम के समक्ष कश्यप ने सारा ब्यौरा देकर इसकी शिकायत की है.
दिल्ली में हुई इन सड़कों की शिकायत
घुमरापदर मार्ग के अलावा पीएमजीएसवाय में बरबहाली से चनाभांठा, देवभोग से बरकानी, सीनापाली से गोहरापदर,केकराजोर से उरमाल तक बने सड़कों की शिकायत हुई. सभी शिकायतों की जांच स्टेट क्वालिटी कंट्रोल ने की. हैरानी की बात है कि सभी जांच में टीम ने संतोष जाहिर कर दिया. माखन कश्यप ने कहा कि शिकायत कर्ताओं के अनुपस्थिति में कभी भी इसकी जांच की फार्मीलिटी पूरी कर दी जाती है. यह भी एक दुर्भाग्य है कि आम लोगों की शिकायत पर नेशनल की टीम हरकत में नहीं आती. जब तक जांच में पारदर्शिता नहीं लाई जाएगी, सड़क निर्माण में अनियमितता जारी रहेगा.
काम अधूरा होने से लगाया जुर्माना
घुमरापदर खोखमा की सड़क को ऑनलाइन रिपोर्ट में पूर्ण बताया गया है. ईई आरबी सोनी ने भी माना कि सड़क अधूरी है. पूर्ण होने की प्रत्याशा में इसकी पूर्णता दर्ज किया गया है. 6 माह की अवधि के भीतर उसे पूर्ण करना है. कार्य में विलंब के कारण अनुंबधित राशि का दस फीसदी उसे जुर्माना लगाया गया है. अगर दिए गए अतरिक्त 6 माह में काम पूरा नहीं करेगा तो पेनाल्टी दोगुनी लगेगा. साथ ही अन्य कार्यवाही भी की जाएगी.
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