इस साल शिवरात्री 18 फरवरी को मनाई जायेगी. सभी शिवालय में अलग-अलग परंपरा के साथ महाशिवरात्रि मनाई जाती है. वहीं देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ (बाबा धाम) मंदिर में शिवरात्रि को लेकर खास परंपरा हैं. 12 ज्योतिर्लिंग में बाबा बैद्यनाथ के शीर्ष पर पंचशूल लगा हुआ जो की सभी ज्योतिर्लिंग से अलग है. विश्व के सभी शिव मंदिरों में त्रिशूल होते हैं. लेकिन बाबा मंदिर एकलौता ऐसा मंदिर है जहां पर पंचोली स्थापित है. शिवरात्रि से पहले बाबाधाम परिसर में स्थित सभी 22 मंदिरों का पंचशूल उतारा जाता है. इसकी शुरू हो चुकी है.
सबसे पहले पूरे विधि विधान के साथ गणेश मंदिर और माता संध्या मंदिर का पंचशूल उतारा गया. वहीं बाबा बैद्यनाथ के शीर्ष पर लगे पंचशूल को महाशिवरात्रि के दो दिन पहले यानी 16 फरवरी को उतारा जाएगा और महाशिवरात्रि के दिन परंपरिक पूजा अर्चना के साथ पंचशूल वापस मंदिर के शीर्ष पर लगा दिया जाएगा. Read More – Valentine’s Day के दिन ही मनाया जाता है मातृ-पितृ पूजन दिवस, जानिए इसकी कहानी …
पंचशूल को लेकर कई अलग- अलग मान्यताएं हैं. कई तीर्थपुरोहितों का कहना है कि पंचशूल मानव शरीर में मौजूद पांच विकार- काम, क्रोध, लोभ, मोह और ईष्र्या का नाश करता है. पंचशूल को पंचतत्व-क्षिति, जल, पावक, गगन तथा समीर से बने मानव शरीर का द्योतक बताया गया है.
महाशिवरात्रि को लेकर देवघर बाबाधाम मंदिर में पंचशूल उतारने की परंपरा विधिवत निर्वहन की जाती है. डीसी, एसपी और प्रधान पुरोहितों की उपस्थिति में हजारों शिव भक्तों ने पंचशूल उतारने की प्रक्रिया के दर्शन करने देवघर बाबा मंदिर पहुंचते है. शिवरात्रि के 2 दिन पहले बाबा मंदिर और पार्वती मंदिर के पंचशूल को विधि विधान के साथ उतारा जाता है. Read More – वैलेंटाइन डे : वॉट्सएप के इन खास स्टिकर्स से करें अपने प्यार का इजहार…
माता पार्वती और शिव शंकर के पंचशूल का मिलाप कराया जाता है और फिर इसे मंदिर के प्रशासनिक भवन में रखा जाता है और शिवरात्रि के एक दिन पहले पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना करने के उपरांत शिव और पार्वती मंदिर के शीर्ष पर अंशुल को विराजमान कराया जाता है. इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं और मंदिर प्रबंधन ने शिवरात्रि को लेकर सभी पूजन की व्यवस्था दुरुस्त कर ली है.
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