भारत एक ऐसा देश है जहां पेड़ पौधों, जानवरों और नदियों को भी पूजा जाता है. भारतीय संस्कृति में नदियों को मां का दर्जा दिया गया है. यहां गंगा से लेकर सरस्वती जैसी नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है. इसी कारण से हिंदू धर्म में नदियों में स्नान का बहुत महत्व माना जाता है ऐसा कहा जाता है कि इन नदियों में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. आपने अक्सर नदियों के नाम स्त्री के नाम जैसे सुने होंगे जैसे गंगा, सरस्वती, यमुना लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक पुरुष नदी भी है. जी हां, देश में इकलौती ऐसी पुरुष नदी है जिसे ‘ब्रह्मपुत्र’ के नाम से जाना जाता है.

आज हम आपकों इस नदी की खासियत बताएंगे और साथ ही साथ इससे जुड़े वह सारे रहस्य बताएंगे जिसकी वजह से यह दुनिया की इकलौती पुरुष नदी कहलाती है, तो चलिए जानते हैं. Read More – National Boyfriend Day : आज के दिन ऐसे जताएं अपने बॉयफ्रेंड पर प्यार, इन 5 तरीकों से फील कराएं उन्हें स्पेशल …

जानें, ब्रह्मपुत्र कैसे बनी पुरुष नदी ?

मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो ब्रह्मपुत्र नदी को भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है. इस नदी को भारत की सबसे प्राचीन नदियों में से एक माना जाता है. इसे अलग-अलग नाम से भी जाना जाता है. ब्रह्मपुत्र नदी को तिब्बत में ‘सांपों’ अरुणाचल में ‘डीह’ और असम में ‘ब्रह्मपुत्र’ के नाम से जाना जाता है.

अलग-अलग धर्म में भी है नदी का महत्व

हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मपुत्र नदी को भगवान ब्रह्मा का पुत्र माना जाता है. जिस वजह से यह नदी हिंदू धर्म में काफी महत्व रखती है. हिंदुओं के लिए यह नदी तो पूजनीय हैं ही साथ ही साथ बौद्ध और जैन धर्म में भी इसका बहुत महत्व माना गया है. बौद्ध धर्म को मानने वालों की आस्था है कि यह नदी एक विशाल झील चांग थांग पठार से निकली है. Read More – Sridevi की मौत के 5 साल बाद बोनी कपूर ने तोड़ी चुप्पी, कहा – उनकी मौत नेचुरल नहीं थी …

जानें, कहां-कहां बहती है ये नदी

तिब्बत से निकलने वाली ये नदी सिर्फ भारत में ही नहीं बहती, बल्कि भारत से होते हुए बांग्लादेश तक जाती है. तिब्बत में इस नदी को यरलुंग त्सांगपो कहा जाता हैं. दरअसल, तिब्बत के पुरंग जिले में स्थित मानसरोवर झील के पास ही इस नदी का उद्गम स्थल है. ब्रह्मपुत्र नदी भारत की सबसे लंबी नदी है. इस नदी की लंबाई लगभग 2700 किलोमीटर है.

जानें, नदी से जुड़ी ये पौराणिक मान्यता

भारत की सबसे लंबी नदी ब्रह्मपुत्र को दिव्य और चमत्कारी माना जाता है. इससे जुड़ी एक पौराणिक मान्यता यह कहती हैं कि, पुष्कर में स्थित ब्रह्मा जी के मंदिर में दर्शन करने के बाद भक्तों को ब्रह्मपुत्र नदी में स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति को खास लाभ मिलता है. साथ ही साथ व्यक्ति को ब्रह्म दोष नहीं लगता है और शारीरिक कष्ट भी दूर हो जाते हैं.