देश-विदेश के लोग बिहार के गया शहर में अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं. शास्त्र के अनुसार, दिन में श्राद्ध करना उचित माना जाता है, लेकिन गया शहर में भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां रात्रि में भी श्राद्ध किया जा सकता है. यहां सूर्यदेव और उनका परिवार 24 घंटे विराजमान होता है. यहां साल के सभी 365 दिन पिंडदान करने का विधान है.

गया शहर के ब्राह्मणी घाट पर स्थित विरंचिनारायण सूर्य मंदिर में कहा जाता है कि यहां भगवान सूर्य 24 घंटे उपस्थित रहते हैं, जिसकी वजह से सूर्यास्त के बाद भी यहां श्राद्ध कार्य पूरा किया जाता है. Read More – बैक लेस टॉप में नजर आईं Urfi Javed

पूरे परिवार के साथ मौजूद रहते हैं सूर्यदेव

मंदिर के पुजारी बताते हैं कि इस मंदिर में भगवान सूर्य पूरे परिवार के साथ मौजूद हैं. सूर्यदेव सारथी के साथ सात घोड़ों वाले रथ पर सवार हैं. मुख्य विग्रह के पैर के बीच सूर्य की पत्नी संज्ञा, दायीं और ज्येष्ठ पुत्र शनि, बायीं ओर कनिष्ठ पुत्र यम हैं, जो सारथी अरुण के साथ रथ संचालन की मुद्रा में हैं. इस रथ में सात घोड़े और एक चक्का भी हैं. विग्रह के बीच में, दायें-बायें चारण और शस्त्र सेवक-सेविकाएं हैं, जबकि नीचे दायें-बायें चंवर डुलाते हुए प्रहरीगण हैं. ऊपर बाईं तरफ, प्रत्युषा और दायीं ओर उषा देवी शोभायमान हैं. सूर्यपुराण में उषा और प्रत्युषा को अन्धकार को दूर करने वाली देवियों के रूप में मान्यता प्राप्त है. Read More – Bigg Boss 17 : Isha Malviya और Samarth Jurel ने घर में की हदें पार, वायरल हो रहा Video …

24 घंटे रहते हैं सूर्य

पितृपक्ष हो या अन्य दिन, जब गयाजी में श्रद्धालु अपने पितरों का श्राद्ध करने पहुंचते हैं और सूर्यास्त हो जाता है, तब भी यहां पर श्राद्ध किया जाता है. यह मंदिर पूरे भारत का एकमात्र मंदिर है, जहां रात्रि में भी श्राद्ध होता है. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि शास्त्रों में वर्णन है कि सूर्यास्त के बाद श्राद्ध नहीं करना चाहिए, लेकिन ब्राह्मणी घाट स्थित विरंचिनारायण सूर्य मंदिर पूरे भारतवर्ष का एकमात्र मंदिर हैं, जहां भगवान सूर्य की उपस्थिति 24 घंटे मानी जाती है. इसी आधार पर यहां कभी भी श्राद्ध किया जा सकता है.