जशपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के गृह जिला जशपुर में सघन वनों की पुरानी पहचान को बरकरार रखने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों ने हरियाली कार्य योजना पर काम शुरू कर दिया है. इसके तहत यहां ईब नदी का उद्गम स्थल को संरक्षित करने की पहल की गई है. इसके अलावा जशपुर वन मंडल में पहली बार गर्मी का मौसम शुरू होने से पहले ही जंगलों में आग लगने की घटना पर रोकथाम के लिए भी पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं. Read More – NGO पर धोखाधड़ी का आरोप, महिलाओं ने कहा- काम देने के नाम पर समूह का गठन कर ठगे लाखों रुपये
वन मंडल अधिकारी जितेंद्र उपाध्याय ने आज बताया कि यहां जंगलों के आसपास रहने वाले पहाड़ी कोरवाओं का समूह बना कर उन्हें प्रशिक्षण देकर वनों की हरियाली को संरक्षित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जा रही है. जितेंद्र उपाध्याय ने बताया कि हर वर्ष गर्मी के मौसम के दौरान जंगल से वनोपज संग्रहण करने वाले लोग सूखे पत्तें और घास फूस में आग लगा देने से प्रतिवर्ष काफी बड़े भूभाग में वनों को नुकसान होता था. यहां के जंगलों में आग लगने की घटना से साल बीज, औषधीय गुण वाले पौधे, चिरौंजी के पेड़ सहित वन्य प्राणियों काे भी भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
इस बार सीएम विष्णुदेव साय ने देश में जशपुर जिले की हरियाली वाली विशेष पहचान को कायम रखने की दिशा में पहले से ही सार्थक पहल करने के निर्देश दिए हैं. यहां पर पत्थलगांव, बगीचा और कांसाबेल क्षेत्र में 20 से अधिक समूहों का गठन कर उन्हें जंगलों की आग बुझाने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है. जंगलों के आसपास रहने वाले पहाड़ी कोरवा परिवार के लोग भी आग की चपेट में आने से चिरौंजी, तेन्दूपत्ता जैसे कीमती वनोपज को अपने जीवन यापन में महत्वपूर्ण योगदान मानते हुए इस काम को बेहतर ढंग से करने की बात कर रहे हैं.
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